पीएम मोदी के सतत मार्गदर्शन में गुड गवर्नेंस के सिद्धांत पर हो रहा काम : अर्जुन मुंडा

30 मई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा किया. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सतत मार्गदर्शन में गुड गवर्नेंस के सिद्धांत पर काम कर रहा है. उनका मंत्रालय देश के आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कृतसंकल्पित है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2020 5:50 PM

सरायकेला : 30 मई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा किया. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सतत मार्गदर्शन में गुड गवर्नेंस के सिद्धांत पर काम कर रहा है. उनका मंत्रालय देश के आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कृतसंकल्पित है. कैबिनेट मंत्री के तौर पर एक साल का कार्यकाल पूरा करने पर स्थानीय सांसद अर्जुन मुंडा से दूरभाष पर प्रभात खबर संवाददाता शचिंद्र कुमार दाश ने विशेष बातचीत की.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने केंद्र सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरा होने पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने जनजातीय कल्याण मंत्रालय के पिछले एक साल की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि जनजातीय मंत्रालय गुड गवर्नेंस के सिद्धांत पर काम कर रहा है. गुड गवर्नेंस के आधार पर मंत्रालय के कामकाज में जिम्मेदारी और पारदर्शिता लायी गयी, जिससे मंत्रालय का सभी काम और कार्यक्रम प्रामाणिक तौर पर सफल रहा.

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श्री मुंडा ने कहा कि मंत्रालय ने इस संदर्भ में ‘दिशा पोर्टल’ लॉन्च किया है, जिससे मंत्रालय की सभी कल्याणकारी कामों की निगरानी की जा सके. मंत्रालय ने समय- समय पर आदिवासी युवक- युवतियों और जनप्रतिनिधियों के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग का भी काम किया. कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में जनजातीय लोगों को बचाने एवं वन्य उत्पाद को उचित मूल्य मिले, इस पर विशेष फोकस किया गया. सभी राज्य सरकारों को इस बारे में निर्देश दिया गया.

उन्होंने कहा कि कोविड -19 के इस दौर में 49 वन्य उत्पादकों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गयी, ताकि वन्य संपदा संग्राहकों को इसका लाभ मिल सके. साथ ही देश भर में 150 करोड़ की लागत से 1,125 वन धन केंद्र की स्थापना की जा रही है. जनजातीय कल्याण मंत्रालय ट्राईफेड के जरिये सीआईआई, फिक्की और एसोचैम के जरिये वन्य उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही है. वर्ष 2019- 20 में 16 हजार करोड़ रुपये सिर्फ इस मद में खर्च किये गये हैं.

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भारत सरकार जनजातीय छात्रों को पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दे रही है. सिर्फ 2019- 20 में 5 योजनाओं के तहत 2.5 हजार करोड़ की छात्रवृत्ति की राशि सीधे छात्रों के अकाउंट में भेजा गया है. जनजाति कल्याण मंत्रालय पहला मंत्रालय है, जो छात्रों को प्रि और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप भी दे रहा है.

उन्होंने कहा कि इसी तरह देशभर के 331 विश्वविद्यालयों में 4,794 से अधिक आदिवासी छात्र- छात्राओं को स्कॉलरशिप डीबीटी के माध्यम से दी जा रही है. जनजातीय कार्य मंत्रालय दूसरे मंत्रालय के सहयोग से आदिवासी क्षेत्रों में ढांचागत विकास पर जोर दे रही है. इस क्षेत्र में सड़क, पुलिया के निर्माण के साथ- साथ आवागमन के साधन भी विकसित करने की कोशिश कर रही है. साथ ही इन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन विकसित करने और लाइटिंग की समुचित व्यवस्था करने पर भी जोर दिया जा रहा है.

Posted By : Samir ranjan.

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