रविकांत/धर्मवीर सिंह
रांची/सिमडेगा/बानो : झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले सतीश भगत ने सिमडेगा जिले में रेल से कटकर आत्महत्या कर ली है. वह बानो में स्टेशन प्रबंधक थे. सतीश भगत का सिर धर से अलग हो गया है. ऐसा लगता है कि उन्होंने पटरी पर अपनीगर्दन रख दी थी और ट्रेन उनकी गर्दन को पार कर गयी. उनका धड़ पटरी के एक ओर और सिर दूसरी ओर मिला.
घटना की सूचना मिलने के बाद रेलवे पुलिस के बानो थाना प्रभारी एवं अन्य पुलिस पदाधिकारी घटना घटनास्थल पर पहुंचे. पदाधिकारी बानो स्टेशन पर तैनात रेलवे कर्मचारियों से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि सतीश भगत ने आत्महत्या क्यों की.
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आशंका जाहिर की जा रही है कि तड़के तीन बजे स्टेशन से जो मालगाड़ी गुजरी,उसी से कटकर स्टेशन प्रबंधक सतीश भगत ने जान दी. सुबह लोगों ने पटरी पर शव देखा,तो इसकी सूचना पुलिस के साथ-साथ रेलवे पुलिस को भी दी. सतीश के परिजनों,जो रांची में रहते हैं, को भी सूचना दे दी गयी है.
रेल पुलिस मामले को संदिग्ध मानकर जांच कर रही है. जीआरपी ने बताया कि रेल लाइन तीन के पटरी पर संदिग्ध आवस्था में बानो के स्टेशन प्रबंधक का शव बरामद हुआ. शव स्टेशन करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित पोल नंबर 518/4 के पास मिला. पटरी पर शव मिलने की खबर से स्टेशन पर सनसनी फैल गयी. शव देखने के लिए रेलकर्मी व ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गयी.
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बताया जाता है कि बानो के स्टेशन प्रबंधक दिन में ड्यूटी करने के बाद घर चले गये थे. सुबह लोगों ने पटरी पर उनका शव देखा. घटना की जानकारी आरपीएफ व जीआरपी बानो को दी गयी. जीआरपी ने शव को कब्जे मे लेकर अंत्यपरीक्षण के लिए बानो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एबुलेंस से रांची रिम्स भेजा दिया.
रेल पुलिसनेकहा है कि प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का लग रहा है, लेकिन वह हर पहलूकी जांच कर रही है. यह भी आशंका जतायी जा रही है कि किसी ने स्टेशन मैनेजर की हत्या कर शव को पटरी पर छोड़ दिया, ताकि यह आत्महत्या लगे.
रांची में रहता है गुमला के रहने वाले सतीश का परिवार
ज्ञात हो कि गुमला जिले के डुमरी डोडयाटोली के रहने वाले सतीश रांचीमें घर बनाकर रह रहे थे. बानोमें सरकारी आवासमें अकेले रहते थे. रांची में उनकी पत्नी के अलावा दो जुड़वा बेटी हैं. हंसमुख सतीश स्टेशनकर्मियोंके चहेते थे. आसपास के लोगों के भी वह प्रिय थे. घटना से सभी लोग अचंभित हैं. जिसने भी घटना के बारे सुना, गमगीन हो गया. सीधे स्टेशन की ओर दाैड़ा. पांच महीनेपहले उन्होंने बानो स्टेशन प्रबंधक के रूप में योगदान दिया था. इससे पहले महाबुआंग में दो साल तक स्टेशन मास्टर रहे थे.