Loading election data...

कोलेबिरा उप चुनाव: यूपीए में शह-मात का खेल, झामुमो की नजर छोटे दलों पर

राजनीतिक सरगर्मी बढ़ रही, झाविमो और आजसू के बीच भी राजनीतिक खिचड़ी, कांग्रेस कड़ी जोड़ने में जुटी रांची : अागामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ रही है़ यूपीए कुनबा में शह-मात का खेल चल रहा है़ विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर कांग्रेस कड़ी जोड़ने में जुटी है़ वहीं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2018 7:25 AM
राजनीतिक सरगर्मी बढ़ रही, झाविमो और आजसू के बीच भी राजनीतिक खिचड़ी, कांग्रेस कड़ी जोड़ने में जुटी
रांची : अागामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ रही है़ यूपीए कुनबा में शह-मात का खेल चल रहा है़ विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर कांग्रेस कड़ी जोड़ने में जुटी है़ वहीं, राज्य के विपक्षी दल भी अपना दावं चल रहे है़ं झामुमो राज्य में महागठबंधन की धुरी है़ झामुमो राजनीतिक नफा-नुकसान तौल रहा है़ कांग्रेस के साथ गठबंधन से पहले झामुमो दबाव बनाने में लगा है़
झामुमो की नजर छोटे दलों पर है़ झामुमो ने इसी रणनीति के तहत कोलेबिरा में एनोस एक्का की पार्टी को समर्थन दिया है़
कोलेबिरा में झामुमो ने अलग राह पकड़ कर कांग्रेस सहित यूपीए के घटक दलों को संदेश दिया है़ झामुमो बसपा, झापा, तृणमूल, सहित दूसरे झारखंडी नामधारी दलों के साथ एक फ्रंट बना सकता है़ वहीं हाल के दिनों में झाविमो और आजसू के बीच रफ्ता-रफ्ता राजनीतिक दूरी पट रही है़ आजसू नेता सुदेश कुमार महतो और झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बीच बातचीत भी हुई है़ आजसू की रणनीति है कि भाजपा-झामुमो से अलग झाविमो के साथ अलग फ्रंट बना कर चुनावी जंग में उतरे़ हालांकि, अब तक इस दिशा में बात निर्णायक स्तर पर नहीं पहुंची है़
कांग्रेस आलाकमान बाबूलाल-हेमंत को साथ लाने की कोशिश में
कांग्रेस के स्तर पर महागठबंधन का स्वरूप दिल्ली दरबार मेें ही तय होना है़ कांग्रेस आलाकमान की कोशिश है कि बाबूलाल मरांडी और हेमंत सोरेन को साथ लाकर भाजपा को रोका जाये़ झामुमो और झाविमो साथ आया, तो वोट का बिखराव रूकेगा़ कांग्रेस की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में पहले दलों को साथ लाकर आगे का प्लॉट तैयार किया जाये़ कांग्रेस विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर जल्दबाजी कर झामुमो छोड़ दूसरे दलों को नाराज नहीं करना चाहती है़ झामुमो का यूपीए फोल्डर में दबाव है कि विधानसभा सीटों का बंटवारा भी लोकसभा के साथ हो जाये़ इसी पेंच को सुलझाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी़

Next Article

Exit mobile version