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सिमडेगा के प्रमुख पर्यटक स्‍थल : जहां आप ले सकते हैं नये साल में पिकनिक का आनंद

।। रविकांत साहू ।। केलाघाघ डैम – सिमडेगा शहरी क्षेत्र से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है केला घाघ डैम. यहां की हसीन वादियां सैलानियों को अपनी ओर बुलाती हैं. दो पहाड़ियों के बीच में बना डैम व झील आसपास के लोगों को अपनी ओर बरबस खिंचती हैं. ऊंची-ऊंची पहाड़ियां उस पर लहलहाती […]

।। रविकांत साहू ।।

केलाघाघ डैम – सिमडेगा शहरी क्षेत्र से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है केला घाघ डैम. यहां की हसीन वादियां सैलानियों को अपनी ओर बुलाती हैं. दो पहाड़ियों के बीच में बना डैम व झील आसपास के लोगों को अपनी ओर बरबस खिंचती हैं. ऊंची-ऊंची पहाड़ियां उस पर लहलहाती हरियाली और झील के ऊपर अठखेलियां करती मछलियां मन को मोहती हैं. नये साल के अवसर पर यहां पर राउरकेला, गुमला के अलावे अन्य शहरों से भी लोगों का आगमन होता है. डैम के अलावे हरियाली और आसपास की खूबसूरत वादियां अत्यंत ही मनमोहक है.

राजाडेरा – ठेठईटांगर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजा डेरा पर्यटन स्थल जिले में एक अलग ही पहचान रखती है. बताया जाता है कि किसी जमाने में यहां राजाओं का डेरा हुआ करता था. जिस कारण इसका नाम राजा डेरा पड़ा.

यहां चट्टानों की श्रृंखला एवं उसके बीच से बहता झरना काफी मनोरम दिखाई पड़ता है. चट्टानों के बीच से बहते झरने में लोग खूब डुबकी लगाते है. चट्टानों के शृंखला काफी लंबी है. जिससे देख लोग काफी रोमांचित हो उठते है. यहां पर नववर्ष पर सैलानियों की भीड़ काफी उमड़ती है. लोग यहां पर जमकर मौज मस्ती करते हैं. यहां के सुंदर दृश्य को अपने कैमरे में कैद करते है. अन्य अवसरों पर भी यहां सैलानी आते हैं. यहां नागपुरी फिल्म की शूटिंग भी होती है.

भंवर पहाड़ – कोलेबिरा प्रखंड मुख्यालय से लगभग डेढ़ किलोमीटर पर स्थित भंवर पहाड़ ऐतिहासिक स्थल है. यहां पर पहाड़ का सीना चीरकर बनाया गया रणबहादुर सिंह का मकान अभी भी मौजूद है. जो लोगों के लिए दर्शनीय है. यहां पर भंवरों का जमघट रहता था. यही कारण है इसका नाम भंवर पहाड़ पड़ा. यहां पर स्थित जगन्नाथ स्वामी का मंदिर गुफा झरना लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां पर पिकनिक मनाने के लिए सैलानी दूर-दूर से आते हैं. बताया जाता है कि किसी जमाने में यहां के राजा ने अपने दुश्मनों से टक्कर लेने के लिए भंवरों का सहारा लिया था.

गोबधंसा डैम – कोलेबिरा प्रखंड मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोबरधंसा डैम पहाड़ों और जंगलों के बीच अवस्थित है. यहां के मनोरम प्राकृतिक दृश्य लोगों को बरबस ही आकर्षित करती है. ऊंचे ऊंचे पहाड़ व हरियाली देख लोग काफी रोमांचित होते हैं. नव वर्ष पर यहां सैलानियों की भीड़ काफी उमड़ती है. यहां पर सैलानी मछली मारने का भी आनंद उठाते हैं.

कोलेबिरा डैम – कोलेबिरा डैम कोलेबिरा प्रखंड मुख्यालय से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पर भी नववर्ष पर काफी संख्या में सैलानी आते हैं. साथ ही पिकनिक मनाने के अलावे मछली मारने का भी आनंद उठाते हैं. यहां पर शिव मंदिर है जहां लोग सुबह पूजा-अर्चना करने के बाद दर्शन करते हैं एवं पिकनिक मनाने का आनंद भी उठाते हैं.

कोयल नदी – बानो प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर कोयल नदी अवस्थित है. कोयल नदी अपने गोद में प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे हुए हैं. यहां पर हरे जंगल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. नववर्ष के अवसर पर यहां पर सैलानियों का काफी संख्या में आगमन होता है. विभिन्न क्षेत्रों से सैलानी यहां पिकनिक मनाने के लिए आते हैं. यहां का प्राकृतिक छटा अत्यंत ही रमणीक है.

दनगदी – बोलबा प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पर्यटन स्थल धनगदी की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है. बड़े-बड़े चट्टान व झरने काफी दर्शनीय है. झरने के पानी का रंग नीला है. जो काफी मनोरम लगता है. पहाड़ों से गिरते झरने लोगों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करते हैं.

झारखंड सहित उड़ीसा और छत्तीसगढ़ से भी लोग यहां पिकनिक मनाने के लिए आते हैं. नव वर्ष पर यहां भीड़ देखते ही बनती है. दनगदी में शिव मंदिर और गिरजाघर आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं. 1 जनवरी के अवसर पर दनगदी में काफी संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है. पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देख काफी खुश होते हैं. दनगदी का सरकार द्वारा विकास भी किया जा रहा है.

सात कोठा – जलडेगा प्रखंड के 14 किलोमीटर की दूरी पर खरवागड़ा गांव के निकट अवस्थित है. पर्यटन स्थल 7 कोठा पर्यटक को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. साथ कोठा का कुंड जंगल व पहाड़ों से घिरा सुंदर मनोरम स्थल को प्राकृति ने शायद फुर्सत से बनाया है. यहां पहाड़ों से गिरते झरने एवं ऊंचे नीचे पर्वत काफी लुभावने लगते हैं. यहां पर पिकनिक मनाने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं.

प्राकृतिक छटा का आनंद उठाते हैं. नव वर्ष पर यहां मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है. लूंडगी की नदी की तेज धाराएं जब ऊपर से सात कोठा में गिरकर 7 कुंडों से होकर गुजरती है वह दृश्य काफी मनोरम एवं अविस्मरणीय बन जाता है. बताया जाता है कि नदी की धाराओं से ही सात कुंडों का निर्माण हुआ है. जिसका अवलोकन करने के लिए नववर्ष के अवसर पर काफी संख्या में यहां लोगों का आगमन होता है.

शंख नदी – सिमडेगा शंख नदी में भी पिकनिक मनाने वालों की भीड़ लग रहती है. शहरी क्षेत्र से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है शंख नदी. शंख नदी में स्थित बालू व कल कल बहते साफ पानी लोगों को अपनी ओर आकर्षिक करते हैं. शंख नदी सिमडेगा से केरसई, बोलबा तक फैली हुई है. कई स्थलों पर लोग नदी में पिकनिक मनाने के लिये जमा होते हैं और नये साल का आनंद उठाते हैं.

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