रविकांत साहू, सिमडेगा
ठेठईटांगर थाना क्षेत्र के मतरमेटा गांव में सहयोग विलेज संस्था द्वारा संचालित विशेषीकृत दत्त्तक ग्रहण संस्था में बुखार एवं दस्त के कारण 13 दूधमुंहे बच्चों की तबीयत खराब हो गयी. सभी बच्चों को सदर अस्पताल में 20 फरवरी को भर्ती कराया गया. सभी बच्चे दस्त व बुखार से पीड़ित थे. बच्चों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान 7 माह के एक बच्चे की मौत 22 को तथा दूसरे बच्चे की मौत 23 फरवरी को हो गयी.
बच्चों की स्थित बिगड़ती देख छह बच्चों को रांची रानी चिल्ड्रेन अस्पताल बेहतर इलाज के लिए भेज दिया गया. इधर पांच बच्चों का इलाज अभी भी सदर अस्पताल में चल रहा है. सभी की हालत खतरे से बाहर बतायी जा रही है.
डीएस व चिकित्सकों ने किया अनाथालय का निरीक्षण
सदर अस्पताल के डीएस एसएस पासवान व डॉ सुष्मा टोप्पो सहित अन्य लोगों ने मतरामेटा स्थित अनाथालय का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में भी केंद्र में कई कमियां पायी गयी. डीएस श्री पासवान ने संचालकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये.
बच्चों को दूध पिलाने में बरती गयी लापरवाही
सहयोग विलेज संस्था द्वारा संचालित विशेषीकृत दत्त्तक ग्रहण संस्था अनाथालय में बच्चों को दूध पीलाने में लापरवाही बरतने का मामला प्रकाश में आया है. सूत्रों के मुताबिक अनाथालय में बच्चों को बोतल से दूध पिलाया जाता था. इस क्रम में निप्पल के स्वच्छता को लेकर चिकित्सकों ने भी सवाल उठाये हैं.
सदर अस्पताल के डीएस एसएस पासवान ने बताया कि संस्था के संचालकों को बच्चों को चम्मच से दूध पिलाने का निर्देश दिया गया है. श्री पासवान ने बताया कि बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के कारण संभवत: संक्रमण की स्थित उत्पन्न हुई है. उन्होंने बताया कि असली कारण जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगी.
खाना बनाने में हो रहा है लकड़ी का उपयोग
एक ओर जहां केंद्र व राज्य सरकार की ओर से उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में गैस सिलेंडर व चुल्हे का वितरण किया जा रहा है. ताकि लकड़ी की कटाई पर रोक लग सके तथा ग्रामीणों को लकड़ी के धुएं से होने वाली बीमारी से बचाया जा सके. लेकिन मतरामेटा में संचालित अनाथालाय में आज भी खाना लकड़ी के चुल्हे पर ही बनाया जा रहा है.
संस्था में कई दूधमुंहे बच्चे हैं. बिन ब्याही मां भी अपने बच्चों के साथ है. क्या ऐसी स्थिति में लकड़ी के धुएं से बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचेगा. बहरहाल प्रशासन को चाहिए कि उज्जवला योजना के आधार पर उक्त केंद्र को भी गैस सिलेंडर व चुल्हा मुहैया कराया जाए ताकि अनाथालय में रह रहे बच्चों को धुएं से होने वाली परेशानी से निजात मिल सके.