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सिमडेगा : ”प्रभात खबर” गोष्ठी में महिलाओं ने कहा- अब भी नहीं मिल रहा है मान सम्मान व अधिकार

रविकांत साहू, सिमडेगा प्रभात खबर के तत्वावधान में महिला दिवस के अवसर पर डे एनयूएलएम परिसर में गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कई महिलाएं उपस्थित थीं. महिलाओं ने महिला दिवस के महत्व और इसके उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला. महिलाओं ने अपने अधिकार व कर्तव्य की भी बातें कहीं. गोष्ठी में […]

रविकांत साहू, सिमडेगा

प्रभात खबर के तत्वावधान में महिला दिवस के अवसर पर डे एनयूएलएम परिसर में गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कई महिलाएं उपस्थित थीं. महिलाओं ने महिला दिवस के महत्व और इसके उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला. महिलाओं ने अपने अधिकार व कर्तव्य की भी बातें कहीं.

गोष्ठी में उपस्थित राजस्थान के एनजीओ जतन संस्थान के मास्टर ट्रेनर अंजू कंवर ने कहा कि महिलाओं को मान सम्मान मिलना चाहिए. यह मान सम्मान कागजों पर ही दिख रहा है. इसे धरातल पर भी दिखना चाहिए. हमें अधिकार तो मिला है किंतु वह कहीं नजर नहीं आता. अंजू कंवर ने कहा कि दान में हमें अधिकार और सम्मान नहीं चाहिए. महिलाएं उसकी वास्तव में हकदार है.

अपने विचार में राजस्थान जतन एनजीओ की सदस्य हेमलता चौधरी ने कहा कि आज हम 108वां महिला दिवस मना रहे हैं. महिलाओं को मान-सम्मान मिले प्यार मिले तभी महिला दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी. महिलाओं के अधिकार से संबंधित कानून तो बनाये गये हैं. किंतु अधिकार के नाम पर आज भी महिलाओं से भेदभाव किया जा रहा है.

जबकि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुष से पीछे नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि समाज और देश को चलाने के लिए महिला पुरुष दोनों का समान योगदान है. उत्पीड़न व अत्याचार को पुरुष वर्ग बढ़ावा नहीं दें. उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षित महावारी के मामले में पुरूष महिलाओं को सहयोग करें. सम्मान की नजर से उन्हें देखें.

डे एनयूएलएम के सीएमएम राहिल डुंगडुंग ने अपने विचारों में कहा कि महिलाएं आज की तारीख में किसी से पीछे नहीं है. महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है. आज भी महिलाएं मुख्यधारा से विमुख हैं. महिलाओं का सशक्तिकरण कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है. राहिल डुंगडुंग ने कहा कि गिरकर बैठना नहीं खड़ा होना पड़ेगा. महिलाओं का आर्थिक विकास करके ही सर्वांगीण विकास किया जा सकता है.

गोष्ठी में उपस्थित महिला समूह के स्वाति सिंह ने एक शायरी से अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने कहा ‘हजारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए, हजारों दीपक चाहिए आरती सजाने के लिए. हजारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए किंतु एक स्त्री ही काफी है दुनिया एवं समाज व परिवार को स्वर्ग बनाने के लिए.’

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