सरायकेला : समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों के विकास को लेकर सरकार द्वारा कई योजनाएं क्रियान्वित की जाती है, इनमें से अधिकांश योजनाएं सही देखरेख के अभाव में दम तोड़ देती हैं.
यही स्थिति कमोवेश वृद्धावस्था पेंशन योजना की है. इसका उदहारण है सरायकेला प्रखंड के पाटाहेंसल के आदिवासी टोला. इस गांव में इस योजना के तहत एक भी लाभुक नहीं है.
मात्र तीन या चार विधवा पेंशन योजना के लाभुक हैं, जबकि गांव में कई एक बुजुर्ग महिलाएं हैं, जो 80 वर्ष की उम्र पार कर चुकी हैं और उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिलती. गांव में जो कोई भी जाता है, उससे पहले पेंशन दिलाने की ही फरियाद करती है. इसमें से पंगीला सोय, चुंदरी सुंजी, बानी सोय, तुलसी सोय के अलावा कई और बूढ़ी महिलाएं हैं, जिन्हें अब भी पेंशन योजना की आस है.
इन्होंने बताया की पेंशन के लिए कई बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटा, परंतु हर बार आश्वासन ही मिलता है. पेंशन के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों से फरियाद करने के बावजूद अब तक इसका लाभ नही मिल पाया है. आदिवासी बहुल इस गांव में लगभग 135 परिवार हैं, परंतु यह टोला मानो सरकारी उपेक्षा का शिकार है.