मूसलाधार बारिश के बीच रात भर चट्टान पर डटा रहा मछुआरा, 22 घंटे बाद फिर ऐसे बची जान
कोयल नदी से रेस्क्यू कर विल्सन को सकुशल बाहर लाने में सराहनीय योगदान देनेवाले एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर पीटर पौल डुंगडुंग व बानो थानेदार प्रभात कुमार को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
सिमडेगा : 22 घंटे से कोयल नदी में फंसे मछुआरे विल्सन मड़की की जान एनडीआरएफ की टीम ने सोमवार को बचा ली. घटना सिमडेगा जिले के बानो थाना क्षेत्र की है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर एनडीआरएफ की टीम रांची से घटनास्थल पर पहुंची और मड़की को रेस्क्यू किया.
जानकारी के अनुसार, रामजोल निवासी विल्सन मड़की रविवार दोपहर 3:00 बजे कोयल नदी मछली पकड़ने गया था. उसी दौरान मूसलधार बारिश शुरू हो गयी और अचानक नदी में बाढ़ आ गयी. नदी का पाट चौड़ा होने के कारण विल्सन नदी से बाहर नहीं निकल पाया. पूरी रात वह चट्टान पर बैठा रहा.
इस दौरान लगातार मूसलधार बारिश हो रही थी. साथ ही बिजली भी कड़क रही थी, लेकिन विल्सन ने हिम्मत नहीं हारी. सोमवार की सुबह जानवर चराने गये कुछ ग्रामीणों ने विल्सन को चट्टान पर बैठे देखा. ग्रामीणों ने बानो थाने को इसकी जानकारी दी.
बानो थाना प्रभारी ग्रामीणों के साथ रस्सी लेकर नदी तट पर पहुंचे. नदी की तेज धार और चौड़ा पाट होने की वजह से वे लोग कुछ नहीं कर पाये. इस बीच किसी ने इस घटना की जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर दी.
जिस पर सीएम ने तत्काल संज्ञान लिया और मछुआरे को टापू से सुरक्षित निकालने का निर्देश दिया.
एसपी ने एनडीआरएफ के एडीजी से मांगा सहयोग : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का निर्देश मिलने पर सिमडेगा एसपी डॉ शम्स तबरेज ने एनडीआरएफ के एडीजी एसएन प्रधान से सहयोग मांगा. एसपी के आग्रह पर तत्काल एनडीआरएफ की 15 सदस्यीय टीम रांची से बानो के लिए रवाना हो गयी.
posted by : sameer oraon