धर्मवीर सिंह, बानो:
सिमडेगा में कोलेबिरा प्रखंड के लचरागढ़ स्थित रोमन कैथोलिक चर्च का इतिहास 100 साल पुराना है. लचरागढ़ चर्च की स्थापना 1922 में की गयी थी. इसके बाद से लगातार लचरागढ़ में चर्च स्थापित कर विश्वासी विनती आराधना कर रहे हैं. लचरागढ़ चर्च के पहले पल्ली पुरोहित फादर होरनी थे. उनके कार्यकाल में चर्च का निर्माण शुरू किया गया था. बताया जाता है कि लचरागढ़ पल्ली की जमीन नारोडेगा लुगून पुरखों की देन है. लुगून पुरखों द्वारा ही लचरागढ़ पल्ली चर्च के लिए जमीन दी गयी थी.
लचरागढ़ पल्ली में अब तक 24 पुरोहितों ने योगदान दिया है. कई साल बीतने के बाद लचरागढ़ को 90 के दशक में भिखारिएट बनाया गया. शुरुआती दिनों में कुटुगिया, बांकी, जीतू टोली, बरवाडीह, जलडेगा भी इस पल्ली के अंग थे. बाद में इन सभी स्थानों को बारी-बारी से पल्ली का दर्जा दिया गया. पहले पल्ली पुरोहित फादर होरनी लचरागढ़ में एक मार्च 1923 को आये थे. लचरागढ़ आते उन्होंने मिट्टी की दीवार से चर्च का निर्माण कराया. उस समय खीस्तीयों की संख्या 3945 थी. 1200 लोग धर्म सीखने आते थे.
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उनके कार्यकाल के दो वर्षों में 25 गांवों में गिरजाघर की शुरुआत हुई. वर्तमान में चर्च में 8233 परिवार विनती आराधना करते हैं. पल्ली पुरोहित डीन फादर एरिक जोसेफ कुल्लू , फादर अलोइयस तिर्की, फादर बेंजामिन केरकेट्टा, फादर पीटर बरला, फादर अलबिनुस केरकेट्टा, फादर क्लेमेंटे लकड़ा ने बताया कि लचरागढ़ रोमन कैथोलिक चर्च का इतिहास काफी पुराना है. वर्तमान में कैथोलिक सेवा समिति के अध्यक्ष अलबिनुस लुगून, उपाध्यक्ष जोसेफ सोरेंग, सचिव एडविन केरकेट्टा, उप सचिव प्रवीण लुगुन, कोषाध्यक्ष शिलानंद बागे की देख-रेख में चर्च का संचालन हो रहा है.