Jharkhand Assembly Election|सिमडेगा, रविकांत साहू : सिमडेगा विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होता रहा है. चुनाव में झारखंड पार्टी भी असरदार भूमिका में रहती है. पिछले तीन चुनावों से झापा की वजह से भाजपा और कांग्रेस के बीच का अंतर कम होता नजर आता है.
2009 से सिमडेगा विधानसभा सीट पर होने लगा कांटे का मुकाबला
वर्ष 2009 से सिमडेगा विधानसभा में कांटे का मुकाबला होने लगा. 2009 के चुनाव में भाजपा की विमला प्रधान को 38476, कांग्रेस के नियेल तिर्की को 37363 और झापा के एनोस एक्का को 18252 वोट मिले थे. 2014 में भाजपा की विमला प्रधान को 45343, झारखंड पार्टी की मेनन एक्का को 42149 और कांग्रेस के बेंजामिन लकड़ा को 20601 वोट मिले थे.
2019 में भाजपा और कांग्रेस के बीच थी कांटे की टक्कर
वर्ष 2019 में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. मौजूदा विधायक कांग्रेस के भूषण बाड़ा केवल 285 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. उन्होंने सिमडेगा विधानसभा सीट पर भाजपा के श्रद्धानंद बेसरा को हराया था. झारखंड पार्टी (झापा) के रेजी डुंगडुंग को मिले 10753 वोट ने चुनाव को रोमांचक बना दिया था.
क्षेत्र को हॉकी ने पहचान दी, तो पलायन बनी बड़ी समस्या
सिमडेगा को हॉकी ने विशेष पहचान दी है. हॉकी को बढ़ावा देने के लिए विधानसभा के शहरी क्षेत्र में किये गये एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम के निर्माण से विदेशों में भी इसकी साख बढ़ी है. स्टेडियम में दो अंतरराष्ट्रीय मैचों का भी आयोजन किया गया है. वैसे, सिमडेगा में समस्याओं की कमी नहीं है. पलायन क्षेत्र की बड़ी समस्याओं में से एक है.
सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. रेलवे लाइन का निर्माण वर्षों से मुद्दा रहा है. सिमडेगा में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति भी स्थानीय लोगों के लिए सपना ही है. यहां आज भी 40 वर्ष पुरानी जलापूर्ति योजना से ही लोगों का काम चल रहा है. क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए भी विशेष कुछ नहीं किया जा सका है.
सिमडेगा विधानसभा के अहम मुद्दे
- सिमडेगा शहर क्षेत्र में 70 फीसदी आबादी आज भी शुद्ध पेयजल से वंचित है. लगभग 40 वर्ष पहले जलापूर्ति योजना लगायी गयी थी. उसी से जलापूर्ति हो रही है. यह पूरी तरह से जर्जर और क्षतिग्रस्त हो चुकी है.
- सिमडेगा में कई वर्षों से रेलवे लाइन की मांग उठ रही है. इसके लिए लोगों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कार्रवाई सरकार के स्तर से नहीं की गयी है.
- सदर अस्पताल अब रेफरल अस्पताल का स्थान ले चुका है. सदर अस्पताल में वेंटिलेटर तक की व्यवस्था है, लेकिन उसे ऑपरेट करने के लिए टेक्नीशियन नहीं मिल रहा. हल्की सर्दी बुखार व हल्की खरोंच जख्म का ही यहां इलाज होता है. अन्य केस में तत्काल मरीज को रेफर किया जाता है.
- उच्च शिक्षा के नाम पर सिमडेगा के लोग अभी रांची या अन्य महानगरों पर निर्भर हैं. उच्च शिक्षा के नाम पर जिला मुख्यालय में एकमात्र अंगीभूत महाविद्यालय सिमडेगा कॉलेज है. जहां शिक्षकों की घोर कमी है.
- जिले में पलायन बड़ी समस्या है. रोजगार का कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जा सका. कोई फैक्ट्री भी नहीं है. रोजगार के कोई बड़े साधन नहीं है. जिस कारण काफी संख्या में मजदूर महानगरों की ओर पलायन करते है.
सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए काम किया है : भूषण बाड़ा
सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में जनता ने उन पर जो भरोसा जताया था, उस पर उन्होंने खरा उतरने का प्रयास किया. पांच वर्षों में सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोगों के सुख-दुख में शामिल हुए. विधानसभा के हर इलाके में जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी समाज के लिए विकास कार्य किया. उन्होंने विधानसभा में पीसीसी, नाली के अलावा अन्य उल्लेखनीय कार्य भी किये हैं. जनता की समस्याओं का समाधान करना उनकी प्राथमिकता रही है. विधानसभा क्षेत्र के सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोगों के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहे. श्री बाड़ा कहते हैं कि उन्होंने सभी लोगों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया. जिस गांव में बिजली नहीं थी, वहां बिजली पहुंचायी. जिस गांव तक रोड नहीं था, वहां रोड पहुंचाने का और जहां पेयजल की सुविधा नहीं थी, वहां पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने का काम किया. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी अपना योगदान दिया है.
शहरी क्षेत्र में बायपास की आवश्यकता है. शहरी क्षेत्र के बीच से घनी आबादी के बीच एनएच 143 गुजरी है. रोड में अभी काफी बड़े मालवाहक वाहनों का परिचालन हो रहा है. बायपास बन जाने से रोड पर लोड कम होगा तथा आवागमन में शहरी क्षेत्र के लोगों को सहूलियत होगी.
शशि प्रसाद, समाजसेवी
पिछले 5 वर्ष में कहीं भी विकास का काम नहीं दिखा : श्रद्धानंद बेसरा
वर्ष 2019 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के श्रद्धानंद बेसरा ने कहा कि पांच वर्षों में विकास कार्य पूरी तरह प्रभावित हुए हैं. सिमडेगा विधानसभा में कहीं कोई विकास कार्य दिखाई नहीं पड़ रहा. विकास के नाम पर विधायक ने चर्च के लिए काम किया है. जनता बिजली, शुद्ध पेयजल और सड़क के लिए तरस रही है. कुरडेग- सिमडेगा मुख्य पथ, जो छत्तीसगढ़ से राज्य को जोड़ता है, वह पूरी तरह से जर्जर हो गया है. इन पांच वर्षों में उसकी मरम्मत नहीं हो सकी. बिजली समस्या की बात करें, तो गांव-गांव में ट्रांसफार्मर जला हुआ है. उसे बदलने में विधायक की कोई दिलचस्पी नहीं है. वह सिर्फ चर्च और अपने लोगों के लिए काम कर रहे हैं. पूरे विधानसभा क्षेत्र में नल जल योजना के नाम पर सरकारी राशि की लूट की गयी है. जिस पर विधायक का कोई ध्यान नहीं है. पांच वर्षों में सभी विभागों के अधिकारी पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं.
क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करानी चाहिए. अच्छे चिकित्सकों की नियुक्ति कर स्वास्थ्य सेवा दी जानी चाहिए. यहां सिमडेगा में उद्योग का अधिष्ठापन करना चाहिए, ताकि पलायन रुक सके.
मोतीलाल अग्रवाल, अध्यक्ष, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स
एक्सपर्ट प्रो देवराज प्रसाद बोले
इकोलॉजिकल बैलेंस जरूरी है. जंगल से समृद्ध झारखंड राज्य भी अब ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में आ चुका है. बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए पर्यावरण संतुलन की सख्त आवश्यकता है. पर्यावरण संतुलन के लिए जिला में पौधरोपण का एक उदाहरण पेश करने का सामूहिक प्रयास हो. जिसे देखकर दूसरे जिले के लोग भी प्रेरित हों, क्योंकि धरती की रक्षा करने के लिए हमें ही आगे आना होगा. जिले में स्वरोजगार केंद्र की स्थापना हो, जो कृषि, पशुपालन और जल आधारित हो. इन तीनों की भरपूर संभावना जिले में है. गांव में ऐसे लोगों की सूची तैयार करनी चाहिए, जो दूसरे प्रदेशों में जाकर वहां की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद कर रहे है. उनकी सूची बनाकर उनके अनुभव के आधार पर हम वैसे कार्यों को भी करें, जिससे कि अपने क्षेत्र के युवाओं को रोजगार भी दे सकेंगे. उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और पलायन भी रुकेगा. इसे पूरा करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरिशप (पीपीपी) का उपयोग किया जा सकता है.
20 वर्ष से क्रुशकेला से टकबा जानेवाली सड़क के निर्माण का 10 गांव के लोगों को इंतजार है. गांव से लोग शहर तक नहीं जा पाते हैं. पांच किमी तक सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि यहां पर कोई ऑटो भी नहीं चलता. सुबह में एक ऑटो गांव शहर की ओर जाता है, तो वही ऑटो शाम में गांव की ओर आता है. ऐसे में अगर कोई बीमार पड़ जाये, तो भगवान ही मालिक है. नुकीले पत्थर व उबड़-खाबड़ बोल्डर पर लोग पैदल अपने गांव सिर पर बोझा लेकर आना-जाना करते हैं. इस क्रम में उनके पैर भी कई बार लहूलुहान हो जाते हैं.
जोसेफ एक्का, ग्रामीण
सिमडेगा विधानसभा चुनावों का लेखा-जोखा
चुनाव का वर्ष | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट | पार्टी का नाम | प्राप्त वोट |
2005 | कांग्रेस | 47230 | भाजपा | 38119 | — | — |
2009 | भाजपा | 38476 | कांग्रेस | 37363 | झारखंड पार्टी | 18252 |
2014 | भाजपा | 45343 | झारखंड पार्टी | 42149 | कांग्रेस | 20601 |
2019 | कांग्रेस | 60651 | भाजपा | 60366 | झारखंड पार्टी | 10753 |
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