24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News : गरीबी को दी मात अब प्रतिद्वंद्वियों के छुड़ा रही है छक्के, पढ़ें इन लड़कियों के बुलंद हौसलों के संघर्ष की कहानी

इसी का नतीजा है कि आज गरीब घर से निकली ये लड़कियां जिला ही नहीं नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपना दम दिखा रही हैं. झारखंड हॉकी की बात करे तो इसमें ज्यादातर लड़कियां सिमडेगा की ही है.

Jharkhand News, Simdega News, Jharkhand Hockey सिमडेगा : गरीबी को मात देकर कई लड़कियां आज हॉकी के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल की है. कठिन संघर्ष कर आगे बढ़ी लड़कियों के सिर से पिता का साया बचपन में ही छीन गया था. आर्थिक तंगी हमेशा बनी रही. मजदूर पिता और घर में हाड़तोड़ मेहनत करनेवाली मां ने हौसला दिया और बेटी को हॉकी के क्षेत्र में आगे बढ़ाया.

इसी का नतीजा है कि आज गरीब घर से निकली ये लड़कियां जिला ही नहीं नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपना दम दिखा रही हैं. झारखंड हॉकी की बात करे तो इसमें ज्यादातर लड़कियां सिमडेगा की ही है.

निराली कुजूर ने छोटी उम्र में थाम लिया था हॉकी :

निराली कुजूर करंगागुड़ी की रहनेवाली है. छोटी सी उम्र में निराली ने अपने हाथों में हॉकी स्टीक थाम लिया. हॉकी खेलने का अभ्यास करंगागुड़ी स्कूल में करने लगी. छोटी उम्र में तेज दौड़ने वाली निराली को हॉकी बहुत प्रिय था.

छोटी उम्र में पिता का िधन हो गया. किंतु मां ने उसका लालन पालन बड़े प्यार से किया. हर जरूरत को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. निराली के गांव में बड़ी दीदी हॉकी खेलती थी. दीदीयों को हॉकी खेलते हुए देख कर उसके मन में भी हॉकी खेलने को लेकर उत्सुकता जगी.

चार साल की उम्र से हॉकी खेल रही अनुप्रिया :

अनुप्रिया सोरेंग करूंगागुड़ी की रहनेवाली है. चार साल की छोटी उम्र से ही अनुप्रिया ने हॉकी खेल शुरू किया. स्कूल में हॉकी स्टिक लेकर आने का आदेश फादर का था. फादर का आदेश का पालन सभी करते थे. स्कूल हॉकी स्टीक लेकर ही जाते थे. बचपन के दिनों में हॉकी स्टीक नसीब नहीं था. तब बंबू से वो खेला करते थे. बाद में धीरे-धीरे उन्हें हॉकी स्टिक थामने का मौका मिला. अनुप्रिया अत्यंत ही गरीब परिवार से आती किंतु उसने गरीबी को रास्ते की बाधा नहीं बनने दी. कभी-कभी तो बाहर आने जाने के लिए भाड़ा भी नहीं रहता था. किंतु पड़ोस के लोग होनहार अनुप्रिया को रुपए से मदद करते थे.

स्वीटी डुंगडुंग को गांव में भैया लोगों को हॉकी खेलता देख प्रेरणा मिला:

स्वीटी डुंगडुंग करंगागुड़ी गांव में भैया लोगों को हॉकी खेलते देखती थी. उसके मन में भी हॉकी खेलने की जिज्ञासा जागी. करंगागुड़ी के फादर ने स्वीटी को हॉकी सिखाया. स्वीटी के पिता खेती किसानी करते हैं. घर की माली हालत ठीक नहीं थी. किंतु आस पड़ोस के लोगों ने हमेशा मदद की. स्वीटी आज निरंतर आगे बढ़ रही है. बेहतरीन खेल के कारण उसका चयन झारखंड हॉकी टीम हो गया.

बड़ी बहन को खेलता देख प्राभावित हुई स्मिता केरकेट्टा :

स्मिता केरकेट्टा भी करंगागुड़ी की रहने वाली है. ब्यूटी डुंगडुंग उसकी चचेरी बहन है. वर्तमान में ब्यूटी हॉकी इंडिया टीम में है. बचपन के दिनों में बड़ी बहन को हॉकी खेलता देख उसने भी हॉकी खेलना शुरू किया. माता पिता खेती किसानी से जुड़े हुए हैं. स्मिता केरकेट्टा माली हालत ठीक नहीं है. किंतु माता पिता ने कभी स्मिता को किसी प्रकार की कमी महसूस होने नहीं दी. लगातार स्मिता को माता पिता और स्वयं बड़ी बहन ब्यूटी डुंगडुंग भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें