नियेल तिर्की की मौत पर सिमडेगा में शोक की लहर, पढ़ें कैसा था उनका राजनीतिक सफर और कहां से हुई थी शुरू

नियेल तिर्की का राजनीतिक सफर आजसू से हुआ था. नियेल तिर्की ने आजसू से 1982 में अपनी राजनीति शुरू की थी. उन्होंने आक्रामक राजनीति की शुरुआत की. श्री तिर्की आजसू में रहते हुए सिमडेगा जिले की मूलभूत समस्याओं के लिए लगातार संघर्ष किया और जनता की आवाज बुलंद करते रहे. इसके बाद उन्होंने आजसू छोड़ कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया.

By Prabhat Khabar News Desk | April 15, 2021 12:47 PM

Jharkhand News, Simdega News सिमडेगा : सिमडेगा ने कांग्रेस के पूर्व विधायक और जुझारू नेता नियेल तिर्की को खो दिया. सिमडेगा कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक नियेल तिर्की का बुधवार को रांची स्थित ट्रामा सेंटर में निधन हो गया. उनके निधन से सिमडेगा जिला में शोक की लहर दौड़ गयी. उनके निधन की खबर पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था. किंतु धीरे-धीरे जब खबरें आयी, तब लोगों को विश्वास हुआ कि नियेल दा अब हमारे बीच नहीं रहे.

नियेल तिर्की का राजनीतिक सफर आजसू से हुआ था. नियेल तिर्की ने आजसू से 1982 में अपनी राजनीति शुरू की थी. उन्होंने आक्रामक राजनीति की शुरुआत की. श्री तिर्की आजसू में रहते हुए सिमडेगा जिले की मूलभूत समस्याओं के लिए लगातार संघर्ष किया और जनता की आवाज बुलंद करते रहे. इसके बाद उन्होंने आजसू छोड़ कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया.

संघर्ष का ही नतीजा है कि श्री तिर्की झारखंड मुक्ति मोर्चा से 1995 में विधानसभा चुनाव जीतने में सफल हुए. उस समय सिमडेगा विधायक भाजपा नेता निर्मल कुमार बेसरा थे. श्री तिर्की 1995 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से विधायक चुने गये. इसके बाद वे लगातार तीन बार सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. संयुक्त बिहार में नियेल तिर्की राज्य मंत्री भी बने थे. लगातार तीन बार विधायक रहने के बाद 2009 में भाजपा की विमला प्रधान ने नियेल तिर्की को हराने में सफलता हासिल की थी.

इसके बाद में भी श्री तिर्की लगातार लोगों के बीच रहे. लोगों की समस्याओं को उठाने का काम किया. अपने राजनीतिक जीवन में लगातार जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करते रहे. कई बार जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा. विशेष तौर पर बिजली की समस्या को लेकर वे लगातार आंदोलन करते रहे. बिजली समस्या से लोगों को निजात दिलाने के क्रम में ही उन्हें जेल भी जाना पड़ा. नियेल तिर्की का पूरा राजनीति जीवन संघर्षों से भरा रहा. सिमडेगा विधानसभा ही नहीं सिमडेगा जिले के लोग एक जुझारू नेता के रूप में नियेल तिर्की को जानते थे.

अपनी पहचान की बदौलत विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी नियेल तिर्की को कांग्रेस पार्टी ने 2009 में खूंटी लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना प्रत्याशी बनाया. किंतु लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा ने नियेल तिर्की को शिकस्त दी. इसके बाद पुनः लोकसभा चुनाव का टिकट कांग्रेस पार्टी से चाहते थे. किंतु कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने 2014 में आजसू पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा. किंतु इस चुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. बहरहाल सिमडेगा जिला के लोग एक जुझारू नेता के रूप में नियेल तिर्की को याद रखेंगे.

Posted By : Sameer Oraon

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