Kargil Vijay Diwas 2024: सिमडेगा-कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाने वाले सिमडेगा बंगारू के महतो टोली निवासी नायक सूबेदार रामरतन महतो की आंखों में आज भी कारगिल युद्ध में जीत की चमक देखने को मिलती है. उनके पेट, जांघ व कमर में ऑपरेशन के निशान उनकी वीरता की गवाही देती है. बंगारू महतो टोली निवासी राम रतन महतो 1889 लाइट रेजिमेंट ऑर्डिनरी नायक सूबेदार के रूप में कारगिल के दराज सेक्टर में तैनात किये गये थे. दराज सेक्टर में एक जून से लेकर 22 जून तक दुश्मनों से रामरतन महतो लोहा लेते रहे. हर तरफ गोलियों की बौछार हो रही थी. गोलियां इधर-उधर पहाड़ी की चोटी से आतंकवादी बरसा रहे थे. राम रतन महतो ने 29 आतंकवादियों को 18 जून की रात को मार गिराया था.
ऐसे 29 आतंकवादियों ने मार गिराया
18 जून की रात को रामरतन महतो को बहादुरी दिखाने का अवसर मिला. 18 जून की रात को हर तरफ बर्फ थी. बर्फ के कारण थोड़ी रोशनी भी थी. इसी रोशनी में सूबेदार रामरतन महतो अपनी पोस्ट की ओर सिविल में कुछ लोगों को आते देखा. इस विषम परिस्थिति में भी उनका दिमाग चल रहा था. इस दौरान रामरतन महतो ने अपने अन्य बटालियन जो कारगिल में ही अन्य सेक्टर में ड्यूटी दे रहे थे. सभी सेक्टरों में फोन कर पूछ लिया कि वहां पर आपके सभी जवान व अधिकारी मौजूद हैं कि नहीं. सभी सेक्टरों से उन्हें जवाब मिला हां. हमारे जवान व अधिकारी अपने-अपने सेक्टर में मौजूद हैं. इसके बाद सूबेदार रामरतन महतो समझ गये कि सिविल में यह धोखा देकर आगे बढ़ रहे सभी आतंकवादी हैं. इसके बाद एमजी ड्यूटी में तैनात रामरतन महतो ने अंधाधुंध गोलियों की बौछार आतंकवादियों पर कर दी. आतंकवादियों को संभलने का मौका नहीं मिला. इस बीच रामरतन महतो ने तीन मैगजीन की गोलियां आतंकवादियों पर उतार दी. इस गोलीबारी में राम रतन महतो ने 29 आतंकवादियों को 18 जून की रात मार गिराया था.
अफसरों की खुशी का नहीं था ठिकाना
सभी आतंकवादियों को मार गिराने के बाद राम रतन महतो ने अपने वरीय पदाधिकारियों को इसकी सूचना दी. सूचना पर वरीय पदाधिकारी मौके पर पहुंच रामरतन महतो को स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर भारतीय जवानों को गोली लगी होगी, तो उन्हें कोर्ट मार्शल किया जायेगा. इसके बाद सभी मृतकों की पहचान की गयी, जिसमें सभी 29 आतंकवादी निकले. इसके बाद अफसरों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. एक पंजाबी अफसर रामरतन महतो को अपने कंधे पर उठा कर बल्ले-बल्ले बोलकर नाचने लगे.
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आए थे मिलने
रामतरन महतो कहते हैं कि अगर सभी आतंकवादियों को वे नहीं मारते, तो वे सभी हमारे सभी सेक्टर में तैनात जवानों को मार देते. घटना के बाद रामरतन महतो को सेना के जवानों को ट्रोलिंग प्वाइंट 1075 पर पहुंचाने की ड्यूटी दी गयी. इस बीच जवानों को ट्रोलिंग सेक्टर में पहुंचा कर वापस अपने सेक्टर में लौट रहे थे. इस बीच 23 जून की रात में कारगिल की चोटी से आतंकवादियों द्वारा की गयी फायरिंग में बुरी तरह घायल हो गए. घायल अवस्था में उन्हें उनके सीनियर इलाज के लिए श्रीनगर ले गये. इस दौरान वे बेहोश हो गये. श्रीनगर में उनका लंबे समय तक इलाज चला. इलाज के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनसे मिलने आये.
आज खेतीबारी करते हैं रामरतन महतो
प्रधानमंत्री ने पूछा था कि ठीक होने के बाद फिर लड़ाई में जाना है. इस पर श्री महतो ने कहा था कि यस सर. मैं फिर युद्ध में जाने को तैयार हूं. कारगिल युद्ध के दौरान दिखायी गयी वीरता की चमक आज भी रामरतन महतो की आंखों में स्पष्ट दिखायी पड़ती है. गोलीबारी व आतंकवादियों को मार गिराने की आपबीती बताते समय रामरतन महतो के रोंगटे खड़े हो गये. कारगिल विजय के बाद उनमें खुशी का ठिकाना न रहा. आज वे खेतीबारी करते हुए अपने परिवार को साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं.