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दो गोली लगने के बाद भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया

दो गोली लगने के बाद भी सैनिक विलियम सोरेंग ने हिम्मत नहीं हारी. कारगिल युद्ध में दुश्मनों का डट कर मुकाबला किया. विलियम सोरेंग शहरी क्षेत्र के सलडेगा डीपा टोली निवासी हैं. विलियम सोरेंग बिहार रेजिमेंट में पदस्थापित थे. 1999 में कारगिल का युद्ध हुआ था. कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने भी लड़ी थी, जिसमें विलियम सोरेंग भी शामिल थे. विलियम सोरेंग को आज गर्व है कि उन्होंने अपने देश के लिए लड़ा. वे लड़ाई के उस पल को याद कर आज भी सिहर जाते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 26, 2020 12:38 AM

कारगिल युद्ध के पल को याद कर सिहर उठते हैं विलियम सोरेंग

सिमडेगा : दो गोली लगने के बाद भी सैनिक विलियम सोरेंग ने हिम्मत नहीं हारी. कारगिल युद्ध में दुश्मनों का डट कर मुकाबला किया. विलियम सोरेंग शहरी क्षेत्र के सलडेगा डीपा टोली निवासी हैं. विलियम सोरेंग बिहार रेजिमेंट में पदस्थापित थे. 1999 में कारगिल का युद्ध हुआ था. कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने भी लड़ी थी, जिसमें विलियम सोरेंग भी शामिल थे. विलियम सोरेंग को आज गर्व है कि उन्होंने अपने देश के लिए लड़ा. वे लड़ाई के उस पल को याद कर आज भी सिहर जाते हैं.

गर्व महसूस करते हैं कि उन्होंने विषम परिस्थिति में भी दुश्मनों का डट कर मुकाबला किया. उन्हें इस बात की खुशी है उनके साथी सैनिकों ने पाकिस्तानियों को मुंहतोड़ जवाब देकर कारगिल को फतह किया था. विलियम सोरेंग युद्ध के दौरान जो परिस्थितियां उनके समक्ष आयी थी, उसकी याद को ताजा किया. वे कहते हैं लगभग 12 घंटे तक वे और उनके एक साथी बीच पहाड़ी में ही गोलीबारी के बीच एक जगह फंस गये थे.

एक पत्थर पर 12 घंटे तक बैठे रहे. घुटना तक बर्फ जमा हुआ था, किंतु उन्हें तनिक भी कष्ट नहीं हुआ. उनका लक्ष्य था पाकिस्तानी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देना. अपनी भारत माता की सरहद की रक्षा करना. आज वे अपने आप को अत्यंत ही गौरवान्वित महसूस करते हैं कि उन्होंने कारगिल युद्ध में शामिल होकर अपनी भारत मां की रक्षा की. विलियम सोरेंग को एक पल लगा था कि वे लोग अब नहीं बच पायेंगे. उनके साथ सैनिक भी कह रहे थे कि सर अब क्या होगा, तब उन्होंने अपने साथी सैनिकों को हिम्मत दी और कहा कि ईश्वर उनके साथ है, कुछ नहीं होगा.

हम दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देंगे. इसी बीच गोलीबारी में दो गोली उनके हाथ और पैर में लगी. हाथ में गोली लगने के निशान आज भी मौजूद हैं. विलियम सोरेंग उस पल को याद कर फूले नहीं समाते हैं. उन्होंने आज के युवाओं से आह्वान किया कि वे लोग सेना में जाकर अपनी सरहद अपनी भारत मां की रक्षा करें. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सेना के जो जवान सरहद पर अपनी सीमा की रक्षा कर रहे हैं, वे सभी बधाई के पात्र हैं. विलियम सोरेंग वर्तमान में मंडल कारा में गार्ड के पद पर कार्यरत हैं.

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