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‘नदी पर पुल नहीं तो वोट नहीं’, सिमडेगा की इस पंचायत के ग्रामीणों ने जतायी नाराजगी, पढ़ें रिपोर्ट

बरसलोया पंचायत के बरटोली के लगभग 46 परिवार के 300 लोगो ने ढोलबीर नदी पर पुल नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया. बरसलोया पंचायत के बरटोली में निवास करने वाले लगभग 300 परिवार बारिश के दिनों में लगभग 3 महीने तक बंधक बन जाते है. बरटोली की यह दास्तान बहुत पुरानी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2023 9:11 PM

सिमडेगा, रविकांत साहू. बरसलोया पंचायत के बरटोली के लगभग 46 परिवार के 300 लोगो ने ढोलबीर नदी पर पुल नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया. बरसलोया पंचायत के बरटोली में निवास करने वाले लगभग 300 परिवार बारिश के दिनों में लगभग 3 महीने तक बंधक बन जाते है. बरटोली की यह दास्तान बहुत पुरानी है. टोली के लगभग 300 लोग लगभग 1 महीने का राशन लेकर अपने घरो में रख चुके है. बारिश के दिनों में बरटोली गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. गांव तक सड़क नहीं है. एकमात्र साधन ढोलबीर नदी पार करके पक्की सड़क तक लोग आ सकते है. पक्की सड़क से बरटोली लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. बीच में ढोलबीर नदी है.

अपने ही टोली में बंधक बन कर रह जाते है लोग

ढोलबीर नदी में बारिश के दिनों में पानी भर जाने के बाद बरटोली के 300 लोग पूरी तरह से अपने ही टोली में बंधक बन कर रह जाते है. बारिश के दिनों में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो भगवान ही मालिक है. आज ढोलबीर नदी में उतर कर टोली के लागों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. नदी में उतर कर गांव के लोग कमर भर पानी में उतरे और नारा दिया ढोलबीर नदी में पुल नहीं तो वोट नहीं. टोली के लोगों ने कहा कि 2024 चुनाव से पहले नदी पर पुल नहीं बना तो वे लोग पूरी तरह से वोट का बहिष्कार करेंगे. गांव में अगर बारिश के दिनों में कोई बीमार पड़ जाए तो उसका भगवान ही मालिक है. बीमार व्यक्ति को किसी प्रकार खटिया में लादकर नदी का पानी कम होने का इंतजार किया जाता है.

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तेज बहाव नदी में डुबने से दो दिन पहले दर्दनाक मौत

इस क्रम में इससे पूर्व कई लोग स्वर्ग सिधार चुके है. 2 दिन पहले बरटोली की रहने वाली एक महिला सुको सोरेंग अपने पति के लिए दवा लाने गई थी. किंतु वापसी के क्रम में तेज बहाव नदी में डुबने से उसकी दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना के बाद ग्रामीण काफी आक्रोशित हुए. ग्रामीण ढोलबीन नदी में कमर भर पानी में उतर कर ग्रामरीणो ने पुल की मांग की. इतना ही नहीं जल सत्याग्रह करने की धमकी भी ग्रामीणो ने दे डाली. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के काफिले को बीच सड़क में रोका नदी में पुल की मांग की गई थी.

कोई नहीं सुन रहा गुहार!

अर्जुन मुंडा ने ग्रामीणों से बातचीत की तथा तत्काल संबंधित विभाग के अधिकारियो को ढोलबीर नदी पर पुल बनाने के लिए त्वरित गति से प्राक्कलन बनाने का निर्देश दिया किंतु वह आदेश कोरा साबित हुआ. नदी पर पुल बनाने की कोई पहल सरकार के द्वारा शुरू नहीं की गयी. ग्रामीणों ने कहा कि नदी पर पुल बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के अलावे क्षेत्र के विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी से लेकर जिला प्रशासन से भी गुहार लगा चुके है. किंतु उनकी समस्याओं की ओर देखने की फुर्सत किसी को नहीं है. समस्या आजीज आकर टोली के लोगो ने कहा अगर नदी में पुल नहीं बना तो वे लोग 2024 में वोट का बहिष्कार करेंगे.

इधर बारिश के दिनों में पानी कम होने पर गांव के ग्रामीण एक दूसरे का सहारा बनकर नदी पार करते है. किंतु पानी जब उफान पर होता है तब नदी किनारे बैठकर पानी कम होने का इंतजार करते है. ऐसे में टोली के बच्चों की पढ़ाई भी बारिश में पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है.नदी में पानी कम होने पर माता-पिता नदी पार कराकर छोड़ देते है. इसके बाद पुनः स्कूल छुट्टी होने के समय उनके माता-पिता एक दूसरे का सहारा बनकर नदी के पार अपने बच्चे को लेकर अपने घर को जाते है. पानी ज्यादा होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते.

सेविका प्रेमशिला सोरेंग ने कहा कि सुको सोरेंग पहली ऐसी महिला नहीं है जिसकी इस नदी में बह जाने से मृत्यु हुई है. इससे पूर्व भी तीन-चार लोगो की जान जा चुकी है. सरकार से कई बार पुल की मांग किए है. आवेदन दे देकर थक गए है. हमारी सुनवाई नहीं हो रही.

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