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रामायण सर्किट योजना से जुड़ सकता है सिमडेगा का रामरेखा धाम, जानें क्या है मान्यताएं

योजना के तहत इन सभी शहरों को रेल, सड़क और हवाई यात्रा के माध्यम से आपस में जोड़ा जा रहा है. बाद में शहरों को पड़ोसी देशों से भी जोड़ा जायेगा.

सिमडेगा स्थित रामरेखा धाम को भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रामायण सर्किट में शामिल किया जा सकता है. राज्य ने इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. ज्ञात हो कि रामरेखा धाम में भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान रहने की मान्यता है. वहां भगवान श्री राम व माता सीता से जुड़ी चीजों के होने की भी मान्यता है. रामायण सर्किट के तहत देश के उन स्थानों को आपस में जोड़ा जाना है, जहां भगवान श्रीराम द्वारा भ्रमण किये जाने की मान्यता है.

रामायण सर्किट में अब तक देश के नौ राज्यों के 15 स्थानों की पहचान की गयी है. योजना के तहत इन सभी शहरों को रेल, सड़क और हवाई यात्रा के माध्यम से आपस में जोड़ा जा रहा है. बाद में शहरों को पड़ोसी देशों से भी जोड़ा जायेगा.

वनवास अवधि में रामरेखा धाम में रहे थे श्रीराम :

सिमडेगा जिला मुख्यालय से 26 किमी दूर रामरेखा धाम के बारे में मान्यता है कि 14 साल के दौरान वनवास अवधि में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी यहां से गुजरे थे. वह कुछ समय के लिए यहां रहे भी थे. रामरेखा धाम स्थित अग्निकुंड, चरण पादुका, सीता चूल्हा, गुप्त गंगा जैसी पुरातात्विक संरचनाएं वनवास के दौरान श्रीराम द्वारा इस मार्ग का अनुसरण करने की मान्यता को बल प्रदान करते हैं.

इन राज्यों में चल रहा है रामायण सर्किट का काम

रामायण सर्किट में चयनित राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु व कर्नाटक हैं. यूपी के अयोध्या, शृंगवेरपुर, नंदीग्राम और चित्रकूट, बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. मध्य प्रदेश के चित्रकूट, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर को इसमें शामिल किया गया है. ओडिशा के महेंद्रगिरी, महाराष्ट्र के नागपुर व नासिक, तेलंगाना के भद्राचलन, तमिलनाडु के रामेश्वरम और कर्नाटक के हंपी को भी रामयाण सर्किट परियोजना का हिस्सा बनाया गया है.

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