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वनवास काल में सिमडेगा के रामरेखा धाम पहुंचे थे श्रीराम

वनवास काल के दौरान प्रभु श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ उक्त स्थल पर पधारे थे. ऐसा माना जाता है कि बरसात से बचने के लिए भगवान राम ने माता सीता, लक्ष्मण के साथ पहाड़ी की गुफा में प्रवेश किया था.

सिमडेगा : झारखंड के दक्षिणी छाेटानागपुर के सुप्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल रामरेखा धाम में भगवान राम वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ पधारे थे. भगवान श्रीराम के आने से ही उक्त स्थल का नाम रामरेखा धाम पड़ा. लोगों का मानना है कि समुद्रतल से लगभग 1312 फीट की ऊंचाई पर स्थित धाम में त्रेतायुग से मुनि तप कर रहे हैं. ब्रह्मलीन रामरेखा बाबा जयराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज को मुनियों ने दर्शन भी दिये थे. देवराहा बाबा यहां वर्ष 1958 में आये थे और मुनिगुफा में रामरेखा बाबा से बातचीत की थी. मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान गौतम ऋषि के शिष्य अग्निजिह्वा मुनि के आश्रम में पहुंचे. वह आश्रम पर्वतों, जंगलों और हिंसक जानवरों से घिरा हुआ था. आज यही स्थान श्रीरामरेखाधाम के नाम से प्रसिद्ध है. रामरेखा धाम जिले के पाकरटांड़ प्रखंड में स्थित है. यहीं श्रीराम ने लक्ष्मण और माता सीता के साथ चातुर्मास (वर्षा काल के चार महीने) व्यतीत किये थे.

श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के चरणों के निशान हैं

माता सीता का चूल्हा, स्नान के लिए धनुषाकार कुंड और उनके हाथों से निर्मित रंगोली (सीता चौक) आज भी मौजूद हैं. लक्ष्मण ने स्वयं ही जल की व्यवस्था की थी, जिसे आज गुप्तगंगा के नाम से जाना जाता है. रामरेखा धाम के अनेक स्थल पर श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के चरणों के निशान देखे जा सकते हैं. लोगों का मानना है कि यहां कुछ ऋषि आज भी तपस्या में लीन हैं. उनके द्वारा किये गये यज्ञ आहुति का ताप आज भी अग्निकुंड में महसूस किया जा सकता है. रामरेखा धाम की खोज गंगवंशी राजा राजा हरिराम सिंह ने की थी.

श्रीराम ने तीर से गुफा के अंदर लंबी लकीर खींच दी

वनवास काल के दौरान प्रभु श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ उक्त स्थल पर पधारे थे. ऐसा माना जाता है कि बरसात से बचने के लिए भगवान राम ने माता सीता, लक्ष्मण के साथ पहाड़ी की गुफा में प्रवेश किया था. इसी क्रम में गुफा का ऊपरी हिस्सा सिर में लग रहा था. तब श्रीराम ने तीर से गुफा के अंदर लंबी लकीर खिंच दी और सभी गुफा के अंदर आराम से प्रवेश कर गये. गुफा के अंदर आज भी भगवान श्रीराम द्वारा तीर से खिंची गयी रेखा को देखा जा सकता है. इसी रेखा के आधार पर उक्त स्थल का नाम रामरेखा धाम पड़ा. श्रीलंका से निकली रामगमन यात्रा में भी रामरेखा धाम का नाम अंकित था.

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