लॉकडाउन में नागपुरी लोक कलाकारों की स्थिति दयनीय, तीन माह से नहीं कर पाये हैं एक भी कार्यक्रम, आर्थिक स्थिति हुई खराब
लगातार तीन माह से जारी लॉकडाउन के कारण जहां कारोबारियों व अन्य लोगों की स्थिति खराब है वहीं दूसरी ओर नागपुरी लोक कलाकारों की भी स्थिति अच्छी नहीं है.
मो इलियास, सिमडेगा : लगातार तीन माह से जारी लॉकडाउन के कारण जहां कारोबारियों व अन्य लोगों की स्थिति खराब है वहीं दूसरी ओर नागपुरी लोक कलाकारों की भी स्थिति अच्छी नहीं है. अपने कला का प्रदर्शन कर झारखंडी संस्कृति बचाने वाले लोक कलाकार पिछले तीन माह से एक भी कार्यक्रम नहीं कर पाये हैं. परिणाम स्वरूप उनकी भी आर्थिक स्थिति दयनीय होते जा रही है. इससे उनका मनोबल गिरता जा रहा है.सरकार द्वारा उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. लोगों की अपनी कला से मनोरंजन करनेवाले लोक कलाकार खासे परेशान हैं.
इस विषय पर नागपुरी लोक कलाकारों ने प्रभात खबर के साथ अपनी समस्याओं को साझा किया. बांसुरी वादक पुनीत दूबे कहते हैं कि लगातार तीन माह से बांसुरी की गूंज थम सी गयी है. कोई भी कार्यक्रम नहीं हो रहा है. इससे वे काफी निराश हैं. उन्होंने कहा कि एक कलाकार के जीवन में उसकी कला बसी होती है. यदि कलाकार अपने कला का प्रदर्शन नहीं करे तो उसे काफी निराशा होती है.
उन्होंने कहा कि बांसुरी वादन से उन्हें आर्थिक मदद भी मिलती थी जो तीन माह से बंद है. गायक सह संगीतकार संदीप नाग कहते हैं लॉकडाउन के कारण वह अपने कला का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. कार्यक्रम नहीं होने से उनकी आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो गयी है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान घरों में बैठे कलाकारों के प्रति सरकार को गंभीरता दिखाते हुए सहयोग के लिए आगे आना चाहिए. नागपुरी लोक गायिका आरती देवी का कहना है कि गीत हमारे रग-रग में बसा हुआ है. किंतु इसकी प्रस्तुति तीन माह से बंद है. इससे वह काफी निराश है.
आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है. ढोलक वादक जीतवाहन बड़ाइक का कहना है कि पिछले तीन माह से कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है. जिससे वे पूरी तरह बेरोजगार हो गये हैं. यदि यही स्थिति रही तो हालत और भी दयनीय हो जायेगी. झारखंड कल्चरल आर्टिस्ट एसोसिएशन के जिला प्रतिनिधि सत्यव्रत ठाकुर का कहना है कि पिछले तीन माह से एसोसिएशन से जुड़े कलाकार बेरोजगार बैठे हैं.
उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है. सरकार को ऐसे कलाकारों पर भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरों सहित अन्य लोगों पर तो ध्यान दे रही है. किंतु झारखंड की संस्कृति को बचाने वाले कलाकारों को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है.
Post by : Pritish Sahay