सिमडेगा.
टुकुपानी स्थित ज्योतिष गुरुकुल सभागार में भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण दिवस मनाया गया. इस अवसर पर काफी संख्या में भक्तों ने भगवान महावीर की पूजा कर उनके जीवन दर्शन पर चर्चा की. जैन मुनि डॉ पद्मराज महाराज ने कहा कि तीर्थंकर महावीर ने जो बहुमूल्य शिक्षाएं प्रदान की हैं, उनमें अनेकांतवाद अद्भुत है. इसका अर्थ है कि जहां मात्र एक प्रतिशत सत्य हो और निन्यानवे प्रतिशत असत्य हो, वहां हमें असत्य की उपेक्षा कर मात्र सत्य को स्वीकार करना चाहिए. यह सिद्धांत इतना समर्थ है कि इसके आलोक में प्रत्येक समस्या का समाधान खोजा जा सकता है. आपसी विवादों को खत्म करने हेतु यह सिद्धांत रामबाण औषधि के समान है. वस्तु या व्यक्ति की समग्रता को आत्मसात करने में अनेकांतवाद हमें सही दृष्टि प्रदान करता है. स्वामी जी ने कहा कि महावीर का समग्र जीवन अप्रतिकार की साधना है. उन्होंने कहा कि प्रतिक्रिया करने से पहले भलीभांति विचार करें कि क्या वास्तव में आपकी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है. अगर इतना विचार करके फिर हम प्रतिक्रिया करें, तो हम हमेशा सही प्रतिक्रिया ही करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रभु महावीर अहिंसा धर्म के उपदेशक थे. किंतु उनकी अहिंसा वीरों वाली थी न कि कायरों वाली. उनका कहना था कि अपनी शक्ति को सृजन में लगाइये, विध्वंस में नहीं. शक्ति का निवेश जब सृजन हेतु किया जाये, तब वह अहिंसा बनती है और विनाश में किया जाये तब हिंसा बन जाती है. जैन मुनि ने कहा कि भगवान महावीर विशुद्ध रूप से शाकाहार के समर्थक और प्रेरक थे. उन्होंने शाकाहार को प्राकृतिक आहार और मांसाहार को अप्राकृतिक आहार बताया. सभा में साध्वी वसुंधरा जी ने मधुर भजन प्रस्तुत कर प्रभु भक्ति का समा बांध दिया. प्रसाद वितरण ओमप्रकाश अग्रवाल परिवार द्वारा किया गया. मंगलपाठ, आरती तथा प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.