Tribals Festival : आदिवासी संताल समाज का विशिष्ट पर्व दोसोन (जिलजोम) उत्सव, अपने आप में सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता का प्रतीक है. यह पर्व हर पांच वर्षों में दिसंबर माह में आयोजित होता है, जो पूरे महीने तक संताल बहुल गांवों में उल्लास और उत्साह का संचार करता है.जिलजोम का उद्देश्य केवल आनंद और उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहन सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है. यह पर्व समाज के बिखरे हुए धागों को पुनः एक सूत्र में पिरोने का माध्यम है. रोजगार की तलाश में दूर प्रदेशों में गए समाज के सदस्य भी इस अवसर पर अपने घर लौटते हैं. मेल-मिलाप और एकजुटता की इस परंपरा को बनाए रखना समाज के अस्तित्व के लिए अनिवार्य माना जाता है.
संताल गांवों में बनेगा उत्सव सा माहौल, बेटी-दामाद होंगे खास अतिथि
इस दोसोन अर्थात दुसमी पर्व के दौरान हर संताल गांव में उत्सव का माहौल छा जाता है. गांव के लोग अपने बेटी-दामाद और अन्य रिश्तेदारों को आमंत्रित करते हैं. पारंपरिक पकवानों की महक और मांदर-नगाड़ों की थाप से गांव की गलियां गूंज उठती हैं. पुरुष, महिलाएं और बच्चे अपने पारंपरिक वस्त्रों में सजे-धजे नाच-गान और हंसी-ठिठोली के माध्यम से आनंद का अनुभव करते हैं. पूर्वजों द्वारा स्थापित यह परंपरा समाज को सांस्कृतिक, आर्थिक और भावनात्मक रूप से एकजुट रखने का अद्वितीय प्रयास है.जिलजोम केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उत्सव है, जो पीढ़ियों के बीच आपसी प्रेम और अपनत्व को सुदृढ़ करता है..
कब, कहां मनेगा उत्सव
13-14 दिसंबर: बांदो(राजनगर), मुरुमडीह (राजनगर), हुडिंञदुंदु (ओडिशा), रानीकुदर (रानीपाड़) व बुढ़ीसीरिंज
14-15 दिसंबर: भुरकुली (राजनगर)
15-16 दिसंबर:तिरिंग (ओडिशा), राजदोहा (पोटका), सुंढसी (राजनगर), काटाकाटी (डुमरिया)
17-18 दिसंबर: हुडिञसादोम(ओडिशा)
20-21 दिसंबर:खापोरसाई (रसूनचोपा), सावनाडीह (कलिकापुर)
21-22 दिसंबर:बुसटूमसाई (राजनगर), हुडिञपहाड़पुर (राजनगर)
28-29 दिसंबर : छोटा कुनाबेड़ा (राजनगर), टुईबासा (राजनगर)