जमशेदपुर: भीषण गर्मी ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. घरों में भी रहना मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरी ओर पानी की किल्लत ने परेशानी बढ़ा दी है. भू-गर्भीय जलस्तर पाताल पहुंच गया है. दोहरी मार से आम और खास दोनों परेशान हैं. बागबेड़ा, कीताडीह व घाघीडीह क्षेत्र में पानी की विकराल समस्या है. क्षेत्र में 90 प्रतिशत चापाकल फेल गये हैं. पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए बागबेड़ा जलापूर्ति योजना का काम निर्माण हो रहा है, लेकिन निर्माण कार्य की गति इतनी धीमी है कि नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी जलापूर्ति योजना का काम पूर्ण नहीं हुआ है. क्षेत्र के लोग जिला प्रशासन से जलापूर्ति योजना की धीमी गति से चल रहे काम में तेजी लाने की मांग कर चुके हैं. बावजूद इसके जलापूर्ति योजना काम कछुए की गति से चल रहा है. ऐसा लगता है मानो उसको देखने वाला कोई नहीं है.
राजकुमार सिंह 15 सालों से बड़ी आबादी को टैंकर से दे रहे पानी
पूरा देश प्रचंड गर्मी की चपेट में है. आसमान से आग बरस रही है. जमशेदपुर भी अछूता नहीं है. गर्मी के कारण हर साल जमशेदपुर के कई इलाकों में पानी काफी नीचे चला जाता है. जिससे भीषण पेयजल की संकट पैदा हो जाती है. लेकिन जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पिछले 15 साल से जमशेदपुर के शहरी और गामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी को राहत पहुंचा रहे हैं. फिलहाल जमशेदपुर के घाघीडीह सेंट्रल जेल, जोगी मैदान, कोल बस्ती, शीतला मंदिर, कीताडीह मनसा मंदिर, पोस्ट ऑफिस रोड, प्रेम कुंज चौक, जेवियर स्कूल के पास, दादी बगान, मदरसा, माझी बगान, राजू बगान, गुरुद्वारा के पास, हरहरगुट्टू काली मंदिर के पास, बागबेड़ा कृष्णापुरी, गाड़ाबासा झोपड़पट्टी, आदित्यपुर, हरहरगुट्टू नया बस्ती, नीचे बस्ती, शिव मंदिर, सुभाष विद्यालय के पास, टीआरएफ कॉलोनी रोड, सीतारामडेरा तथा कीताडीह हरिप्रसाद बगान में रोजाना चार टैंकर पानी पहुंचा रहे है. ताकि लोगों को उनकी रोजमर्रा की जरूरत के लिए पानी मिल सके.
जलसेवा से मिलता है आत्म संतोष
राजकुमार सिंह बताते हैं कि गर्मी के मौसम में पंचायत क्षेत्रों में पीने का पानी के लिए त्राहिमाम मच जाता है. कई इलाकों में गर्मी के दस्तक देते ही भूगर्भीय जलस्तर नीचे चला जाता है. जिसकी वजह से कई इलाकों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. नतीजतन पानी की मांग बढ़ जाती है. फिलहाल सोनारी, सीतारामडेरा और आदित्यपुर तक टैंकर भेजकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं. इसके अलावा शादी, विवाह, श्राद्ध तथा अन्य धार्मिक-सामाजिक आयोजनों में भी निःशुल्क पानी उपलब्ध करा रहे हैं. सालोंभर जलसेवा का काम करता हूं. जलसेवा से आत्म संतोष मिलता है.
लोग नदी का पानी पीने को विवश
बागबेड़ा के बस्तीवासी बताते हैं कि वे रेलवे विभाग की फटी पाइपलाइन से निकल रहा पानी व नदी का पानी पीने को मजबूर हैं. उनके पास इतनी आमदनी भी नहीं है कि प्रतिदिन पानी को खरीदकर पी सके. स्थानीय कंपनियों की मदद से कई जगहों पर टैंकर से आपूर्ति की जा रही है, लेकिन वह भी नाकाफी है. टैंकर से एक जगह प्रतिदिन पानी मुहैया करा पाना संभव नहीं है.
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भूगर्भीय जलस्तर 700-800 फीट पहुंचा, सारे चापाकल फेल, बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग
पानी की किल्लत ने परेशानी बढ़ा दी है. भू-गर्भीय जलस्तर पाताल पहुंच गया है. दोहरी मार से आम और खास दोनों परेशान हैं. बागबेड़ा, कीताडीह व घाघीडीह क्षेत्र में पानी की विकराल समस्या है. क्षेत्र में 90 प्रतिशत चापाकल फेल गये हैं.
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