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करमा पर्व के लोक गीतों से गूंजने लगा क्षेत्र

चक्रधरपुर : आदिवासी बहुल क्षेत्रों में करमा पूजा की तैयारियां शुरू हो गयी है. 29 अगस्त से ही करमा पूजा की शुरुआत हो जायेगी. करमा पूजा भादो माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी को मनाया जाता है. इसे झारखंड के आदिवासी व उरांव समाज के लोग धूमधाम से मनाते है. करम वृक्ष की तीन डालियां […]

चक्रधरपुर : आदिवासी बहुल क्षेत्रों में करमा पूजा की तैयारियां शुरू हो गयी है. 29 अगस्त से ही करमा पूजा की शुरुआत हो जायेगी. करमा पूजा भादो माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी को मनाया जाता है. इसे झारखंड के आदिवासी व उरांव समाज के लोग धूमधाम से मनाते है. करम वृक्ष की तीन डालियां को आंगन में विधि विधान के साथ गाड़ कर श्रद्धापूर्वक व्रत किया जाता है.

प्रतिदिन नहा कर करती है आराधना:
कुवांरी कन्याएं तीज के दूसरे दिन टोकरियों में नदी से बालू लेकर आती है और रात में भींगा कर रखे गये गेंहू, सरगुंजा, कुलथी, मकई, जो, चना आदि को टोकरी में रखे बालू में लगा देती है. जवा को प्रतिदिन नहा कर पानी डाल कर आराधना की जाती है. अंकुर होने के बाद थोड़ा पौधा बढ़ जाने पर हल्दी पानी दिया जाता है. जिससे उसका रंल पीला हो जाता है. जवा का सेवा करने वाले कुंवारी कन्याएं मांस-मछली का सेवन नहीं करती है.
करम पूजा में डाली काट कर लाने की है परंपरा :
करम पूजा के दिन शाम को सभी व्रती सज-धज कर गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते करमा राजा के लेकर आने के लिए जंगल जाते है.
करम वृक्ष के पास पहुंच कर पूजारी करम डाली को काटने से पहले लोटा के पानी से वृक्ष की जड़ को धोते है. जिसके बाद विशेष पूजा-अर्चना कर वृक्ष से तीन डालियां को काटा जाता है. उस स्थान पर मंगला दीप जला कर पूजा कर सुख-शांति व समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है. करम पूजा के दूसरे दिन को परना कहा जाता है. उसी दिन करम देव को साक्षीवार में काटा जाता है. उपवास रखने वाले युवक-युवतियां द्वारा नाचते-गाते करम की डालियां को लेकर आंगन या पंडाल में लाया जाता है.
इन इलाकों में रहती है धूम :
चक्रधरपुर अनुमंडल के पोटका महतो साई, संथाल बस्ती, बनमालीपुर, टोंकाटोला, पंपरोड, हरिजनबस्ती, कुम्हारपट्टी, चंद्री, सोकासाई, आसनतलिया, इंदकाटा, कराईकेला, बाउरीसाई, सुबानसाई, ओटार, जामिद, पुटसाई, लोटा, श्यामरायडीह, बड़ाबांबो, जारकी आदि क्षेत्रों में करमा पूजा जोर-शोर से मनाया जाता है.
2 को उपवास, 3 को करमा गोसांई का विसर्जन :
2 सितंबर को श्रद्धालु उपवास पर रहेंगे. बहने भाइयों के दीर्घायु व खुशहाल जीवन के लिए पूरे दिन उपवास पर रहेगी. रात्रि में करम डाल की पूजा करेंगी. भाई करम डाल को पूरे विधि-विधान के साथ काट कर लायेंगे. करम की डाल अखड़ा के केंद्र में स्थापित कर रात्रि में पूजा होगी. पाहन पूजा के दौरान करमा-धरमा दो भाइयों की कथा सुनायेंगे. कथा के बाद प्रसाद का वितरण होगा. जबकि 3 सितंबर की सुबह करमा गोसांई का जलाशयों में विसर्जन किया जायेगा.

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