तीन दिनों में हाथियों ने 100 एकड़ फसल रौंदी

जैंतगढ़. दर्जनों गांवों में हाथियों के दो झुंड का उत्पात 18 व 22 के दो झुंड में हैं हाथी, दीदीबुरू जंगल और दावबेड़ा बीट बना हाथियों का ठिकाना जैंतगढ़ : जैंतगढ़ के दर्जनों गांवों में हाथियों के दो झुंड का उत्पात लगातार तीसरे दिन रविवार को भी जारी रहा. रविवार रात हाथियों के एक झुंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2017 3:57 AM

जैंतगढ़. दर्जनों गांवों में हाथियों के दो झुंड का उत्पात

18 व 22 के दो झुंड में हैं हाथी, दीदीबुरू जंगल और दावबेड़ा बीट बना हाथियों का ठिकाना
जैंतगढ़ : जैंतगढ़ के दर्जनों गांवों में हाथियों के दो झुंड का उत्पात लगातार तीसरे दिन रविवार को भी जारी रहा. रविवार रात हाथियों के एक झुंड ने बांसकाटा, कादोकोड़ा, मानिकपुर, दावबेड़ा आदि गांवों की खेतों में फसल को नष्ट कर दिया. वहीं दूसरे झुंड ने कुंद्रीझोर, कालमसाही, जोड़ापोखर, तेंतुडीपोसी में फसल रौंद दी. एक झुंड दावबेड़ा बीट जंगल में जमा है. इसमें 18 हाथी हैं. दूसरा झुंड दीदीबुरू जंगल में डेरा जमाये हुए है. इसमें 22 हाथी हैं. शाम होते ही दोनों झुंड आसपास के गांवों की खेतों में लगी धान की फसल खा व रौंद दे रहे हैं. हाथी के पैरों से धान की फसल बर्बाद हो रही है. तीन दिनों में दर्जनों गांवों के 100 एकड़ से अधिक में लगी धान की फसल को क्षति पहुंची है.
साल में 5-6 माह हाथी जमे रहते हैं क्षेत्र में : क्षेत्र में अब साल के 5-6 माह तक हाथी अड्डा जमाये रहते हैं. झारखंड-ओड़िशा के सीमावर्ती क्षेत्र हाथी जोन में तब्दील हो गया है. ओड़िशा में रजिया, दुडिता, चमकपुर, उड़ती, घाघरबेड़ा आदि क्षेत्र में हाथी अड्डा जमाये रहते हैं. इससे पांच पोखरिया, जामदलक, चिमला, बांको, बसुदेवपुर, मंगलपुर, रिमुली, कालिका प्रसाद, दुडिता, रजिया, महेश्वरपुर, कंचनपुर, रामला, भोंडा, कटजिया, सिलपुंजी, उडली आदि गांव व झारखंड के तोड़ांगहातु, कोलमसाही, केंद्रीझोर, जोड़ापोखर, बासिरा, सोसोयी, कुदाहातु, बाइहातु, बनकट्टी, काड़ी गुड़िया, बुढ़ाखमान, केंदुवा, डाकुवा जंगल, दावबेड़ा, मानिकपुर, कादो कोड़ा, मासाबीला, महालीमुरूम, मनगांव, सियालजोड़ा आदि क्षेत्र के दर्जनों गांव में हाथियों का अड्डा है.
…शाम होते ही सड़कें हो जाती हैं सुनसान
हाथियों के खौफ से शाम होते ही जैंतगढ़-जगन्नाथपुर-जैंतगढ़-नोवामुंडी सड़क सुनसान हो जा रही हैं. रातभर जगकर लोग फसल की रक्षा कर रहे हैं. मशाल जलाकर और टिना पीटकर हाथियों को भगाया जा रहा है. पहाड़ी क्षेत्र या जंगल से लगी खेतों को जल्दी काटकर लोग अपने फसल की रक्षा में जुटे हैं.
फसल खाने से अधिक पैर से रौंद रहे हाथी
इनका हुआ नुकसान : आदेश तिरिया (दो एकड़), सोमनाथ तिरिया (तीन एकड़), गंगाराम तिरिया (50 डिसमिल), नोंदो हेम्ब्रम (एक एकड़), राजेंद्र तिरिया (एक एकड़), मुन्ना दिगी (50 डिसमिल), श्रीनिवास तिरिया (दो एकड़), शंभु बोयपाई (डेढ़ एकड़).

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