झारखंड : 700 मदरसा शिक्षकों को 10 माह से नहीं मिल रहा वेतन, अब जैक करेगा समीक्षा
पहले उपायुक्त से मांगी रिपोर्ट, अब जैक करेगा समीक्षा रांची : राज्य के 186 मदरसे के लगभग 700 शिक्षकों को 10 माह से वेतन नहीं मिला है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग मदरसों की जांच करा रहा है. शैक्षणिक सत्र 2017-18 मार्च में समाप्त हो जायेगा, पर मदरसा के शिक्षक व कर्मचारियों को अब तक […]
पहले उपायुक्त से मांगी रिपोर्ट, अब जैक करेगा समीक्षा
रांची : राज्य के 186 मदरसे के लगभग 700 शिक्षकों को 10 माह से वेतन नहीं मिला है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग मदरसों की जांच करा रहा है. शैक्षणिक सत्र 2017-18 मार्च में समाप्त हो जायेगा, पर मदरसा के शिक्षक व कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं मिला है. सभी मदरसे एकीकृत बिहार के समय से चल रहे हैं. मदरसा 1980 से पहले से संचालित हैं.
शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव के निर्देश पर जुलाई में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी उपायुक्त से एक सप्ताह में जिले के सभी अराजकीय मदरसों का भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट देने को कहा था.
एक सप्ताह के बदले मदरसों की जांच रिपोर्ट देने में कई जिलों ने चार माह लगा दिये. जिलों से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद विभागीय स्तर पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने मदरसों की जांच रिपोर्ट झारखंड एकेडमिक काउंसिल को भेज दी. झारखंड एकेडमिक काउंसिल को जांच रिपोर्ट की समीक्षा कर विभाग को रिपोर्ट देने को कहा गया है. जैक से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद मदरसा शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर निर्णय लिया जायेगा.
क्या कहते मदरसा के शिक्षक
झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव हामिद गाजी ने बताया कि सरकार ने दस माह से जांच के नाम पर वेतन रोक रखा है. सरकार जांच होने तक वेतन का भुगतान कर दे.
इस संबंध में शिक्षकों ने विभागीय पदाधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखी, पर उन्होंने जांच प्रक्रिया पूरी होने तक वेतन नहीं देने की बात कही. जांच के नाम पर मदरसा के शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन रोकना ठीक नहीं है. मदरसों में अगर कोई कमी है, तो उसे दूर करने के लिए समय दिया जाये. वेतन नहीं मिलने से शिक्षक आर्थिक तंगी झेल रहे हैं.
क्या मांगी थी रिपोर्ट
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी उपायुक्त को जिले के अराजकीय प्रस्वीकृत मदरसा के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट देने के लिए कहा था. सत्यापन का निर्देश स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्री द्वारा दिया गया था. इस क्रम में इस बात पर ध्यान देने को कहा गया था कि संस्थान द्वारा तय मानक का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं. जांच टीम में अनुमंडल स्तर से नीचे के पदाधिकारी को शामिल नहीं करने को कहा गया था.