केयू में बिना प्रवेश परीक्षा पास किये 2011 में कर लिया गया शोध पंजीकरण
चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय के कथित पीएचडी घोटाले की जांच से जुड़ा सबसे बड़ा खुलासा हुआ है. जांच कमेटी की अब तक तहकीकात में पता चला है कि वर्ष 2012 में आयोजित विवि की पहली पीएचडी प्रवेश परीक्षा से पहले ही उम्मीदवारों का पीएचडी में पंजीकरण कर दिया गया. यह तब किया गया, जब विवि […]
चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय के कथित पीएचडी घोटाले की जांच से जुड़ा सबसे बड़ा खुलासा हुआ है. जांच कमेटी की अब तक तहकीकात में पता चला है कि वर्ष 2012 में आयोजित विवि की पहली पीएचडी प्रवेश परीक्षा से पहले ही उम्मीदवारों का पीएचडी में पंजीकरण कर दिया गया. यह तब किया गया, जब विवि में शोध के लिए कोई नियमावली तक नहीं बनी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 2006 में ही सभी विवि को स्पष्ट निर्देश दिया था कि बिना शोध प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण किये हुए किसी छात्र का पंजीकरण शोध के लिए नहीं किया जा सकता. कोल्हान विवि ने यूजीसी के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उम्मीदवारों का शोध में पंजीकरण किया.
विवि में पीएचडी घोटाले की जांच करने वाली कमेटी के चेयरमैन सह प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि विवि में शोध प्रवेश परीक्षा से पहले ही पंजीकरण किया गया है. आयोग ने यूजीसी नेट पास करने वाले उम्मीदवारों को ही विवि स्तर पर अायोजित होने वाली शोध प्रवेश परीक्षा से छूट दी है. विवि ने इस नियम का फायदा पैरवी वाले सामान्य उम्मीदवारों को पहुंचाया. मामले की जांच कर रही कमेटी इस पूरे प्रकरण की गहन पड़ताल के लिए विवि के अलग-अलग विषयों में रिसर्च गाइड बने असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर से इस संबंध में पूछताछ करने वाली है. अब तक इस जांच के लिए करीब 98 शिक्षकों के नाम शॉट लिस्ट किये गये हैं.