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#EveryChildAlive campaign : पश्चिम सिंहभूम की फूलमती हाईबुरू को मिला नया जीवन

रांची : यूनिसेफ के वैश्विक अभियान #EveryChildAlive campaign के सकारात्मक परिणाम प्रदेश में देखने के लिए मिल रहे हैं. इसी क्रम में पश्चिम सिंहभूम जिले के खूंटपानी ब्लॉक में एक बच्ची को जीवन मिला है. घटना ब्लॉक के गोटाई गांव की है, जहां एक बच्ची का जन्म हुआ और उसकी स्थिति बहुत गंभीर थी. यह […]


रांची :
यूनिसेफ के वैश्विक अभियान #EveryChildAlive campaign के सकारात्मक परिणाम प्रदेश में देखने के लिए मिल रहे हैं. इसी क्रम में पश्चिम सिंहभूम जिले के खूंटपानी ब्लॉक में एक बच्ची को जीवन मिला है. घटना ब्लॉक के गोटाई गांव की है, जहां एक बच्ची का जन्म हुआ और उसकी स्थिति बहुत गंभीर थी. यह गांव जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर स्थित है.

बच्ची का नाम फूलमती हाईबुरू है, वह अपने माता-पिता मुन्नी हाईबुरू और नरसिंह हाईबुरू की दूसरी बेटी है. यह परिवार काफी गरीब है, इसलिए जब बच्ची का जन्म समय से पहले हुआ तो उसे कोई विशेष देखभाल नहीं मिली. सहिया(आशा) शकुंतला हाईबुरू जब विजिट के लिए गयी तो उसने पाया कि बच्ची की स्थिति बहुत गंभीर है और वह मात्र एक किलो की है. तब सहिया ने उसके माता-पिता को यह सलाह दी कि वे उसे स्पेशल न्यूबाॅर्न केयर यूनिट (SNCU) ले जायें. लेकिन परिवार वालों ने इस ओर कोई रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि उन्हें इस स्पेशल केयर के बारे में जानकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने सहिया की सलाह नहीं मानी. तब सहिया ने खूंटपानी के मेडिकल अॅाफिसर को सूचना दी और बताया कि परिवार उसे स्पेशल केयर यूनिट ले जाने को तैयार नहीं है क्योंकि फूलमती उनकी दूसरी बेटी थी.

सूचना पाकर डॉ गयासुद्दीन MOIC, ने गांव का दौरा किया और परिवार वालों को समझा-बुझाकर बच्ची को स्पेशल न्यूबाॅर्न केयर यूनिट में भरती कराया. साथ ही उन्हें ‘जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम’ के बारे में बताया और साथ ही उन्हें यह बताया कि यहां तमाम सुविधाएं मुफ्त दी जाती हैं. चार जुलाई 2017 को बच्ची को खूंटपानी लाया गया, फिर उसका इलाज शुरू हुआ.

पश्चिम सिंहभूम में 10 दिनों तक बच्ची स्पेशल केयर यूनिट में भरती रही, फिर वहां से उसे 14 जुलाई को डिस्चार्ज कर दिया गया, उस वक्त उसका वजन 4.9 किलो था. उसके अभिभावक खुश हैं और स्पेशल केयर यूनिट में मिलने वाली सुविधा ले रहे हैं. सहिया शंकुतला अपना आगे का कर्तव्य निभा रही है. उसने पाया कि आज भी फूलमती का वजन अपने उम्र के अनुसार कम है, तो उसने पोषाहार और स्तनपान के बारे में परिजनों को बताया और उसका नियमित टीकाकरण करवा रही हैं. फूलमती को जोखिम से निकालकर स्वस्थ जीवन दिलाने का काम यूनिसेफ के वैश्विक अभियान#EveryChildAlive campaign के तहत किया गया और इस मानवीय कार्य में यूनिसेफ को डीडी नेशनल ने सहयोग किया. फूलमती की पूरी स्टोरी आज डीडी नेशनल पर सुबह 11 बजे दिखाई गयी.

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