कानून में हो रहे संशोधन भले के लिए किसी का अधिकार नहीं छिनेगा : मुंडा
मानकी मुंडा संघ के विजय दिवस कार्यक्रम में पहुंचीं राज्यपाल उमड़ी भीड़ मानकी-मुंडा अपने अधिकार को संरक्षित रखें, बदलाव आधुनिकता की मांग सामाजिक व्यवस्था खोने से अपने घर में कमजोर हो जायेंगे आदिवासी चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के पोड़ाहाट स्टेडियम में शुक्रवार को आयोजित मानकी-मुंडा संघ के विजय दिवस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने […]
मानकी मुंडा संघ के विजय दिवस कार्यक्रम में पहुंचीं राज्यपाल उमड़ी भीड़
मानकी-मुंडा अपने अधिकार को संरक्षित रखें, बदलाव आधुनिकता की मांग
सामाजिक व्यवस्था खोने से अपने घर में कमजोर हो जायेंगे आदिवासी
चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के पोड़ाहाट स्टेडियम में शुक्रवार को आयोजित मानकी-मुंडा संघ के विजय दिवस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि पारंपरिक व्यवस्था को आदिकाल से ही मान्यता मिली है. मानकी-मुंडा अपने अधिकार को संरक्षित रखें. हमारा कानून बूढ़ा नहीं है, जो बदलाव हो रहे हैं वह आधुनिकता की मांग है. आधुनिकता के दौर में जो संशोधन हो रहे हैं, वह भला के लिए है, इससे किसी का हक व अधिकार छीना नहीं जा रहा है.
मुंडा, मानकी व डाकुवा ग्रामीणों का विश्वास हासिल करें : पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था का मतलब समाधान निकालना है. यदि यह व्यवस्था खो जाती है, तो आदिवासी अपने घर में ही कमजोर हो जायेंगे. सामाजिक न्यायिक व्यवस्था शासन नहीं, स्वशासन व सुशासन की परिकल्पना है. जनजातीय लोग अपनी समस्याओं का समाधान मिल-जुल कर करें. मुंडा, मानकी, डाकुवा गांवों में ग्रामीणों का विश्वास हासिल करें. इससे गांव व ग्रामीण व्यवस्था मजबूत होगी.
आदिवासियों के आगे बेबस अंग्रेजों ने सीएनटी व अन्य रूल बनाये : श्री मुंडा ने कहा कि अंग्रेजों ने अपनी शासन व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए किसी से युद्ध तो किसी से संधि की. करीब 650 राजघरानों को कमजोर कर शासन किया. जब आदिवासियों की बात आयी तो अंग्रेज को मुंहकी खानी पड़ी. आदिवासियों ने विद्रोह किया. आदिवासी किसी हालत में अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हुए. इसके बाद विवश होकर अंग्रेजों ने कई रूल्स बनाये. इनमें सीएनटी एक्ट, संथाल परगना अधिनियम, कस्टमरी लॉ, विल्किन्सन रूल आदि कोल्हान में लागू किये गये. केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों में इस तरह के कानून स्वयं शासित क्षेत्र बनाने के लिए बनाये गये.
आजादी के बाद भी शिड्यूल एरिया में ट्रेडिशनल कानून बहाल रखा गया : श्री मुंडा ने कहा कि राजस्थान से एक राठौर परिवार का आगमन कोल्हान में हुआ था. चक्रधरपुर, खरसावां, पोड़ाहाट, ओड़िशा, ईचागढ़ आदि क्षेत्र में इसी परिवार ने राजवंश चलाया. देश आजाद होने के बाद संविधान सभा में राजा रजवाड़ा व्यवस्था को विलय कर राज्य का निर्माण किया. हालांकि क्षेत्रीय स्वशासन
व्यवस्था कायम रखने के लिए ठक्कर बापा के नेतृत्व में एक कमेटी बनी. इसने शिड्यूल्ड एरिया के ट्रेडिशनल कानून बहाल रखा. जनजातीय क्षेत्र के कानून में गवर्नर को सर्वोपरी बना दिया गया.
मानकी को 15 व मुंडा को 18 अधिकार प्राप्त : विजय दिवस पर मानकी मुंडा संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि विल्किन्सन रूल्स में मानकी को 15 व मुंडा को 18 अधिकार प्राप्त हैं. वर्तमान में इन अधिकारों का हनन हो रहा है. मालगुजारी को ऑनलाइन करने से अहमियत कम हो रही है. भूमि अधिग्रहण में मानकी-मुंडा को दरकिनार किया जा रहा है. सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग ऑनलाइन मालगुजारी जमा नहीं कर पा रहे हैं. राज्य सरकार ने जो टैबलेट उपलब्ध कराया है, वह बेकार है.
उसका संबंध सिस्टम से किया ही नहीं गया है. कोल्हान अधीक्षक का संवैधानिक पद बर्सों से रिक्त पड़ा है. प्रभार से इसे चलाया जा रहा है. इस पद पर स्थायी नियुक्ति की मांग हो रही है. गांवों में आदिवासी विकास समिति, ग्राम विकास समिति आदि बना कर जनजातीय लोगों में बिखराव पैदा किया जा रहा है. मोरा हो बनाम राज्य सरकार के केस में आये फैसले पर अमल की मांग हो रही है.
दीप जला कर हुई विजय दिवस की शुरुआत : मानकी मुंडा विजय दिवस का आयोजन मानकी मुंडा केंद्रीय समिति ने किया. इसका उद्घाटन राज्यपाल व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया. नितिमा जोंको व अन्य ने स्वागत नृत्य पेश किया. स्वागत भाषण केंद्रीय उपाध्यक्ष युगल किशोर
पिंगुवा ने दिया. महासचिव रामेश्वर सिंह कुंटिया, गुदडी के मुंडा बिरसा मुंडा, कृष्णा सामाड, बुधराम उरांव, शिव चरण पाड़ेया आदि ने सभा को संबोधित किया. चंदन होनहागा ने मंच का संचालन किया. कोल्हान आयुक्त विजय कुमार, उपायुक्त अरवा राजकमल, एसपी क्रांति कुमार, पूर्व विधायक सुखराम उरांव, एसडीओ प्रदीप प्रसाद आदि उपस्थित थे.
मानकी-मुंडा वंशानुगत स्वशासन व्यवस्था : गिलुवा
सांसद सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि आजादी के पहले से मानकी-मुंडा-डाकुवा व्यवस्था कोल्हान में बहाल है. यह वंशानुगत स्वशासन व्यवस्था है. इतने सालों के बाद भी आज अधिकार की बात हो रही है. भूरिया समिति ने पेशा कानून बना कर मानकी-मुंडा को अधिकार दिये हैं. 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने मानकी-मुंडा-डाकुवा को मानदेय देकर सम्मान दिया. वर्तमान रघुवर सरकार ने मानदेय की राशि दोगुनी कर दी. करीब 1113 मानकी, मुंडा, डाकुवा को आज सम्मान राशि मिल रही है. मैं मानता हूं कि लगान का डिजिटलाइजेशन से परेशानी है, लेकिन यह आधुनिकता की जरूरत है. हम चाहते हैं कि ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी लगान की राशि जमा हो. मानकी-मुंडा की शक्ति और बढ़े.
मानकी-मुंडा व्यवस्था बहाल रहे : जोबा
मनोहरपुर की विधायक श्रीमती जोबा माझी ने कहा कि गांवों को समृद्ध बनाने के लिए मानकी-मुंडा-डाकुवा व्यवस्था बहाल रहे. इनके अधिकार कम करने के बजाय और बढ़ायें जाए. अगर मानकी मुंडा सशक्त बनते हैं, तो जनजातीय लोग, गांव और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोग सशक्त होंगे.
वर्तमान टीएसी का अध्यक्ष असंवैधानिक
झामुमो के केंद्रीय सदस्य सह पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने राज्यपाल को मांग पत्र सौंप कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के पारा 4(1),(3) के अनुसार जन जातीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष जनजातीय ही होगा. दु:ख की बात है कि गैर जनजातीय सीएम स्वघोषित अध्यक्ष बन बैठे हैं. जनजाति सलाहकार परिषद का 20 (बीस) सदस्य होंगे. इसमें 15 विधानसभा सदस्य जनजाति के सदस्य व पांच गैर विधानसभा सदस्य जनजाति के होंगे.
धर्मांतरण बिल में संशोधन किया जाये
ईसाई समुदाय महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष मनोरंजन बोदरा ने राज्यपाल को मांग पत्र सौंपा. इसमें कहा गया कि भूमि-अधिग्रहण बिल 2017-18 के संशोधन वापस लेने, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन वापस लेने, पोड़ाहाट अनुमंडल अस्पताल में पूर्ण तकनीकी व्यवस्था उपलब्ध करने, चक्रधरपुर में पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना करने, धर्मांतरण बिल 2008 में संशोधन कर धर्म निरपेक्षता को परिभाषित करने सहित अन्य मांगें रखी गयी.
रसोइया- संयोजिका को न्यूनतम 18 हजार मिले
झारखंड प्राथमिक विद्यालय रसोइया- संयोजिका/अध्यक्ष संघ जिला समिति के अध्यक्ष बिरसा मुंडा ने राज्यपाल को मांग पत्र सौंपा. रसोइया-संयोजिका को न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये लागू करने, रसोइया-संयोजिका नियुक्ति पत्र जारी करने व 60 वर्ष तक कार्य का अधिकार देने, मध्याह्न भोजन संचालन व खरीदारी की जिम्मेदारी संयोजिका को देने, पांच लाख का जीवन बीमा कराने, साल में दो सेट वस्त्र व चार नहाने का साबुन व चार कपड़ा धोने का साबुन देने आदि मांगें शामिल है.
क्यों मनाया जाता
है विजय दिवस
प्रत्येक वर्ष मुंडा-मानकी संघ 31 अगस्त को विजय दिवस मनाता है. अंग्रेजों के जमाने में विल्किन्सन रूल्स लागू होने पर मानकी-मुंडा को अधिकार मिला. इसके बाद विजय दिवस मनाया जा रहा है. यह पहला अवसर है जब राज्यपाल ने कार्यक्रम में शिरकत की. पहले इतने वृहत पैमाने पर कार्यक्रम नहीं होता था.
पनसुवां डैम से चक्रधरपुर शहर को पानी सप्लाई की योजना रद्द हो
राज्यपाल को मानकी-मुंडा संघ अंचल सोनुवा-गुदड़ी के अध्यक्ष बिरसा मुंडा ने मांग पत्र सौंपा. कहा गया कि सोनुवा प्रखंड के पनसुवां डैम से चक्रधरपुर शहर को पानी सप्लाई योजना रद्द करने, पनसुवां डैम से किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिलाने, डैम को पर्यटन स्थल घोषित करने, डैम सौंदर्यीकरण की मांग रखी गयी. मौके पर हरे कृष्ण बांदिया, दिनेश कुमार महतो, फूलचांद हेंब्रम, पासी राम सांडिल आदि मौजूद थे.