अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पाये पर गांव के स्कूल के लिए दान कर दी 0.21 एकड़ पुश्तैनी जमीन
डुमरिया के बकुलचंदा के शत्रुघ्न गांव के स्कूल में मानदेय पर शिक्षक थे, आजीविका के लिए दर्जी बने, पर नौनिहालों की शिक्षा का चिंतन नहीं छोड़ा डुमरिया : मन में समाज के लिए कुछ करने का संकल्प हो, तो समर्पण छोटा या बड़ा है, यह मायने नहीं रखता. शत्रुघ्न सरदार ने अपनी सोच और उसे […]
डुमरिया के बकुलचंदा के शत्रुघ्न गांव के स्कूल में मानदेय पर शिक्षक थे, आजीविका के लिए दर्जी बने, पर नौनिहालों की शिक्षा का चिंतन नहीं छोड़ा
डुमरिया : मन में समाज के लिए कुछ करने का संकल्प हो, तो समर्पण छोटा या बड़ा है, यह मायने नहीं रखता. शत्रुघ्न सरदार ने अपनी सोच और उसे पूरा करने के जज्बे से यह साबित किया है. पूर्वी सिंहभूम जिले के सबसे पिछड़े डुमरिया प्रखंड मुख्यालय से आठ किमी दूर सुविधा विहीन बकुलचंदा गांव के शत्रुघ्न ने दर्जनों गांवों की भावी पीढ़ी को शिक्षित बनाने के लिए अपनी 0.21 एकड़ जमीन गांव के स्कूल को दान कर दी.
यह दान भी उन्होंने अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अपर्याप्त पुश्तैनी जमीन से की है. गुरबत में अपनी और फिर अपने बच्चों की भी शिक्षा पूरी नहीं करा सके शत्रुघ्न पहले गांव के ही स्कूल में नाममात्र के मानदेय पर शिक्षक रह चुके हैं, जिससे आजीविका नहीं चल पाने के कारण दर्जी का व्यवसाय अपनाने पर विवश हुए. अपनी जमीन दान कर भवन निर्माण भी शुरू कराया, लेकिन पैसे के अभाव में सालों से काम ठप है.