रजो पर्व की तैयारियां अंतिम चरण में

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर में 14 जून को मासंत पर्व (रजो पर्व) मनाया जायेगा. पर्व के अवसर पर चक्रधरपुर अनुमंडल के सभी प्रखंडों में मेला का आयोजन होता है. मेला के दौरान छऊ नृत्य, नंगे पांव आग व कांटों पर चलना, घट यात्रा, रंजनी फोड़ा आदि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इसके अलावे मेला में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:47 PM

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर में 14 जून को मासंत पर्व (रजो पर्व) मनाया जायेगा. पर्व के अवसर पर चक्रधरपुर अनुमंडल के सभी प्रखंडों में मेला का आयोजन होता है. मेला के दौरान छऊ नृत्य, नंगे पांव आग व कांटों पर चलना, घट यात्रा, रंजनी फोड़ा आदि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.

इसके अलावे मेला में विभिन्न प्रकार की मिठाई व खिलौने की दुकानें भी लगायी जाती हैं. मेले को लेकर सगे संबंधियों का आना शुरू हो गया है. पर्व की पूर्व रात्रि से ही छऊ नृत्य के लिए अखाड़ा लगाया जाता है. जिसके बाद रात भर कलाकारों द्वारा छऊ नृत्य किया जायेगा. इसके अलावे घट यात्रा निकाली जायेगी. सोनुवा प्रखंड के पोड़ाहाट गांव में ऐतिहासिक तीन दिवसीय छऊ नृत्य मेला लगेगा.

जिसमें नृत्य का आयोजन राजा अजरुन सिंह छऊ नृत्य समिति द्वारा किया जायेगा. नृत्य के साथ साथ मेले का भी आयोजन किया गया है. पर्व को लेकर पलायन किये मजदूरों का जत्था लौट रहा है. चक्रधरपुर के दंदासाई, पदमपुर के कटुवां गांव, बड़ाबांबों के गीतीलता, नलिता गांव के शिव मंदिर में 13 जून की रात से घट यात्रा के साथ मेला आरंभ होगा.

खूब होती है मांस की बिक्री

मेला में जमकर मांस व हंड़िया की ब्रिकी होती है. रात भर हंड़िया पीने वालों का जमावड़ा लगा रहता है. इसके अलावे मेला में मांस, मच्छली का भी जम कर बिक्री होती है. मासंत पर्व खुशियों का पर्व माना जाता है.

इसमें पूजा-अर्चना की तुलना में खाने-पीने का अधिक महत्व दिया जाता है. सभी लोग अपने सामथ्र्य के अनुसार खाना तैयार कर उसका आनंद लेते हैं. इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी जाती है. जिससे किसी भी तरह की परेशानी न हो.

सभी घरों में बनता है मांसाहार

मासांत पर्व के अवसर पर गांव के सभी घरों में मांस व चावल पीठा बनाया जाता है. इसके अलावे कई तरह का लजीज पकवान बनाये जाते हैं.

रजो गीत पर नृत्य

मासंत पर्व (रजो पर्व) के अवसर पर नये वस्त्र धारण कर गांव की युवतियां पेड़ों में झूला टांग कर झूलती हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार का रजो गीत गाती है. गीतों के धुन पर नृत्य भी करती है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. पड़ोसी राज्य ओड़िसा व बंगाल में मासंत पर्व(रजो पर्व) काफी धुमधाम से मनाया जाता है.

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