शुरू हुए क्रशर, तो सैकड़ों हाथों को मिलेगा काम

मनोहरपुर : सारंडा वन क्षेत्र व आसपास में मौजूद अकूत मात्र में लौह-अयस्क के भंडारन के बावजूद यहां के लोगों को समय-समय पर बेरोजगारी व बेकारी की मार ङोलने की नियति बन गयी है. जिले में बंद पड़े माइंस व बंद पड़े क्रशर के कारण सैकड़ों लोगों व परिवारों से न सिर्फ उनकी जीविका छीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2015 2:14 AM
मनोहरपुर : सारंडा वन क्षेत्र व आसपास में मौजूद अकूत मात्र में लौह-अयस्क के भंडारन के बावजूद यहां के लोगों को समय-समय पर बेरोजगारी व बेकारी की मार ङोलने की नियति बन गयी है.
जिले में बंद पड़े माइंस व बंद पड़े क्रशर के कारण सैकड़ों लोगों व परिवारों से न सिर्फ उनकी जीविका छीन ली, बल्कि उन्हें बेकारी के कागार पर ला खड़ा कर दिया है. मनोहरपुर प्रखंड में भी लौह-अयस्क के उद्योग को नया आयाम देने के उद्देश्य से लोगों ने क्रशर प्लांट को स्थापित किया. पुराना मनोहरपुर, लक्ष्मीपुर, डुकूडीह आदि क्षेत्रों में कई क्रशर खोले गये. जिसे वर्ष 2010-11 में जिला प्रशासन के आदेश पर बंद कर दिया गया.
क्रशर मालिकों को प्रशासन से मिले निर्देश के मुताबिक क्रशरों को मिलने वाले कच्च माल तथा तैयार माल को हाटगम्हरिया स्थित नाके से होकर ही लाना व ले जाना होगा, जो कि क्रशर मालिकों के लिए संभव न था, जिससे क्रशरों को बंद कर दिया गया.
सरकार को हो रहा राजस्व का नुकसान. मनोहरपुर में मौजूदा क्रशरों को बंद होने पर क्रशर मालिक, कामगार व अप्रत्यक्ष लोगों के अलावा सरकार को भी प्रति वर्ष करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है.
क्रशरों के सही संचालन पर राज्य सरकार के अनुमान के मुताबिक पांच से 10 करोड़ के राजस्व की क्षति प्रति वर्ष उठानी पड़ रही है.
सैकड़ों कामगार के हाथों से छीना काम. मनोहरपुर में स्थापित क्रशरों में प्रति क्रशर 25 से 30 की संख्या में स्टाफ होते थे, जो स्थानीय होते थे.
इसके मुताबिक दो सौ से ज्यादा की संख्या में स्थानीय लोगों के हाथों से रोजगार छिन गया, जबकि माल ढुलाई में प्रयुक्त होने वाले डंपर मालिक समेत कई अन्य अप्रत्यक्ष तौर पर बेरोजगार की श्रेणी में आ गये. बहरहाल मनोहरपुर व आसपास के लोगों को मंगलवार को चाईबासा में होने वाली कैबिनेट की बैठक में सरकार से क्रशर उद्योग पुन: शुरू करने की उम्मीदें हैं.

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