विकास की रोशनी से दूर घाघरा घाट गांव
– प्रताप प्रमाणिक – चक्रधरपुर : प्रखंड के इटोर पंचायत अंतर्गत घाघरा घाट नामक एक गांव है. जहां की आबादी लगभग पांच सौ की है. इस गांव के ग्रामीण विकास कार्य से कोसो दूर हैं. ग्रामीणों की बिडंबना यह है कि ना तो चलने के लिए गांव में सड़क है और न ही नदी पार […]
– प्रताप प्रमाणिक –
चक्रधरपुर : प्रखंड के इटोर पंचायत अंतर्गत घाघरा घाट नामक एक गांव है. जहां की आबादी लगभग पांच सौ की है. इस गांव के ग्रामीण विकास कार्य से कोसो दूर हैं. ग्रामीणों की बिडंबना यह है कि ना तो चलने के लिए गांव में सड़क है और न ही नदी पार करने के लिए एक अदद पुल.
चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन से महज सात किलोमीटर दूर अवस्थित इस गांव के लोग बांस के बनाये पुल के सहारे नदी पार करते हैं.
कई बार तो उन्हें नदी के दोनों छोड़ पर बंधे तार के सहारे ही नदी पार करना पड़ता है. प्रत्येक दिन इस गांव के सैकड़ों ग्रामीण अपनी जान को हथेली पर रखकर नदी पार करते हैं. बरसात के दिनों में यह गांव टापू का रूप ले लेती है. नदी का जलस्तर बढ़ जाने पर ग्रामीणों की स्थिति यह हो जाती है कि वह पैसा रहते भी भूखे रहने को मजबूर होते हैं.
नदी में पानी बढ़ने पर लोग कई दिनों तक गांव से बाहर नहीं जा पाते. गांव के शिक्षित पुरुष परमेश्वर बोदरा द्वारा नदी में लगभग 200 फीट तक बांस की पुलिया बना कर ग्रामीणों को आवागमन का मार्ग प्रशस्त किया. ग्रामीण प्रेम सिंह बोदरा, कृष्णा गागराई, सुनील बोदरा ने बताया कि नदी के दोनों छोड़ पर स्थित वृक्ष में मोटी लोहे की तार बांधा गया है.
नदी में पानी ज्यादा होने पर तार के सहारे नदी पार करते है. बांस की पुलिया बनने पर लोगों को थोड़ी राहत पहुंची है. सरकार चारों ओर विकास की बारिश कर रही है, लेकिन घाघरा घाट गांव में विकास की छींटे भी नहीं पड़ रही है. जब से इस गांव का निर्माण हुआ है तब से इस गांव के ग्रामीणों की दशा विकास के अभाव में नहीं सुधरी है. स्कूल में पढ़ने वाले छात्र–छात्राओं को काफी दिक्कत होती है.
इस गांव की ओर किसी राजनेता की नजर नहीं है. प्रशासन की ओर से भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. चुनाव के वक्त नेता झूठा आश्वासन देकर वोट मांगते हैं, लेकिन अब ग्रामीण वोट का सीधा बहिष्कार करेंगे.