मानसिक दबाव में हैं सभी बच्चे व अभिभावक, ठेंगे पर शिक्षा अधिकार कानून
चाईबासा : संत जेवियर्स में शुल्क अदा नहीं करने के बाद परीक्षा से रोके गये बच्चे व उनके अभिभावक गहरे मानसिक दबाव में हैं. इन बच्चों को घंटों बरामदे में बैठकर गुजारना पड़ा. बावजूद सिस्टर फ्लोरा के डर से कोई अभिभावक आगे नहीं आ रहा हैं.
अभिभावकों को भय सता रहा कि उनका नाम सामने आने के बाद प्राचार्या उनके बच्चों को स्कूल से निकाल देगी. मझगांव के प्रदीप हेंब्रम के बेटे वर्ग दो के पसंत हेंब्रम को परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया था.
श्री हेंब्रम ने बताया कि परीक्षा शुल्क जमा करने के बाद उनके बेटे को परीक्षा में बैठने दिया गया. इसी तरह असुरा निवासी सिकंदर बुडीऊली के भतीजे को भी परीक्षा शुल्क जमा नहीं करने के कारण परीक्षा नहीं देने दिया गया. इससे पूर्व भी एक स्कूली छात्र पर की गयी कार्रवाई प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद ही सुलझ सकी थी.
जांच कमेटी बनेगी : डीइओ
जिला शिक्षा पदाधिकारी भलेरियन तिर्की ने कहा है कि बार–बार फ्लोरा विवादों में रहती हैं. इसका मतलब कहीं न कहीं उसमें कमी है. इस बार मामले की गहन पड़ताल होगी. जांच कमेटी के माध्यम से शिक्षा अधिकार कानून की अवहेलना करने वाले किसी को नहीं छोड़ा जायेगा.
सभी ने की निंदा
भाजपा नगर अध्यक्ष दिनेशचंद्र नंदी शुरू ने कहा कि प्राचार्या का यह कृत्य अशोभनीय है. प्राचार्या पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. कांग्रेस नगर कमेटी के महासचिव त्रिशानु राय ने कहा है कि पत्रकारों को बंधक बनाना लोकतंत्र पर हमला है. शिक्षा मंत्री से इसकी शिकायत होगी.