एकट, सीटू, एचएमएस, आटीयूसी में टूट !
किरीबुरू : सेल का वेज रिवीजन चार प्रमुख ट्रेड यूनियन के बीच फंसकर रह गया है. यूनियन के बड़े नेताओं की आपसी द्वंद और एकता नहीं बन पाने के कारण रिवीजन पर अब तक सहमति नहीं बन सकी है.
इसके लिए लगातार चार बैठके भी आयोजित की गयी. इसमें कभी यूनियनों के प्रतिनिधि एमजीबी के प्रतिशत पर नहीं माने तो कभी प्रबंधन से यूनियन की मांग को दरकिनार कर दिया.
सेल में वेज रिवीजन को लेकर गठित चार प्रमुख ट्रेड यूनियनों की कमेटी में एटक, सीटू, एचएमएस, आटीयूसी शामिल थे. लेकिन इनमें एकजुटता खत्म होने के संकेत एटक द्वारा पिछले दिनों किरीबुरू में आयोजित एक सभा में मिले.
सभा के दौरान एनएमडीसी वर्कर्स यूनियन (एटक) के उपाध्यक्ष बीएन सिंह ने कहा कि उक्त चारों संगठनों के वरिष्ठ नेताओं में आपसी सहमति बनी थी, इसमें वेज रिवीजन पांच वर्ष का हो, एमजीबी 30 फीसदी, वर्क्स 50 फीसदी, सम्मानजनक पेंशन तथा ठेका श्रमिकों को भी सेल का न्यूनतम मजदूरी भुगतान हो. इसका प्रस्ताव सेल के पास रखा गया था, लेकिन वेज रिवीजन का समय जैसे–जैसे प्रबंधन बढ़ाते गये.
वैसे–वैसे नेताओं का आपसी तालमेल बिगड़ा एवं हद तो पिछले दिनों कोर कमेटी की बैठक में तब देखने को मिली, जब प्रबंधन ने 15.5 फीसदी एमजीबी देने का प्रस्ताव किया, तो सांसद सह इंटक नेता संजीवा रेड्डी ने कहा कि इस प्रस्ताव के पक्ष में मैं हस्ताक्षर करने को तैयार हूं.
चाहे कोई करे या न करे. श्री रेड्डी ने यह भी कहा कि वर्क्स, पेंशन और ठेका मजदूरों के वेतन बढ़ोतरी से उसे कोई लेना–देना नहीं है. इसका विरोध बाकी संगठनों ने किया. इसके बाद आठ अगस्त को हुई बैठक में सीटू ने एमजीबी 21.5 फीसदी देने का प्रस्ताव प्रबंधन के पास रखा. फिर एक सितंबर को हुई तो प्रबंधन ने 16 फीसदी एमजीबी देने की बात कही.
इस पर इंटक व सीटू के नेता 20 फीसदी देने की बात कही एवं प्रबंधन तैयार नहीं हुआ, तो सीटू ने कहा कि 20 नहीं तो 18 फीसदी पर हम समझौता करने को तैयार हैं और वर्क्स, पेंशन हमारी मांग नहीं है. ठेका मजदूरों के वेतन पर हम उसके ऊपर बनी कमेटी में बात कर लेंगे.
इस पर इंटक व एचएमएस के नेताओं ने सहमति बना दी. इसका पुरजोर विरोध एटक नेता गया सिंह ने किया एवं कहा कि हम 21.5 फीसदी एमजीबी, 50 फीसदी वर्क्स, सम्मानजनक पेंशन तथा ठेका श्रमिकों का न्यूनतम मजदूरी भुगतान किये बगैर समझौता पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे.