कक्षा पांच के बच्चों को नहीं आता नाम लिखना

सारंडा में किये जो रहे विकास के दावों की जमीनी हकीकत यहां पहुंचकर पता चलती है. प्रशासनिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य व विकास के जो भी दावे किये जाते रहे हो उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सारंडा के दुरस्त ग्रामीण इलाकों में चिकित्सक नहीं पहुंचते. योजनाओं के तहत बनकर तैयार भवन लावारिस हालत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2013 4:46 AM

सारंडा में किये जो रहे विकास के दावों की जमीनी हकीकत यहां पहुंचकर पता चलती है. प्रशासनिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य विकास के जो भी दावे किये जाते रहे हो उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

सारंडा के दुरस्त ग्रामीण इलाकों में चिकित्सक नहीं पहुंचते. योजनाओं के तहत बनकर तैयार भवन लावारिस हालत में खड़े है. इनका उपयोग करने वाला भी कोई नहीं. स्कूलों में शिक्षक के दर्शन नहीं होते. लिहाजा शिक्षा का बुरा हाल है. कई स्कूलों में पांचवी तक के बच्चे तो अपना नाम भी नहीं लिख पाते है.

– लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सालय अस्पताल भवन बेकार पड़ा

किरीबुरू : लाखों रुपये की लागत से बनाया गया पशु चिकित्सालय भवन पशु चिकित्सकों के अभाव में बेकार पड़ा है. सारंडा के छोटानागरा स्थित उक्त अस्पताल भवन का निर्माण को लगभग एक वर्ष बीत चुके है. लेकिन ग्रामीणों ने आज तक इस अस्पताल में चिकित्सक को कभी बैठते नहीं देखा.

ग्रामीण बिरंची गोप ने कहा कि इस भवन के बनने से पूर्व पशु चिकित्सक हमारे घर में लगभग छह साल तक रह कर मवेशियों का इलाज दवा समयसमय पर कराया. लेकिन जब से भवन बना है वे गायब हो गये. अस्पताल भवन के आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि वह आज तक कभी पशु चिकित्सक को नहीं देखा. अब यह भवन सफेद हाथी साबित हो रहा है.

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