एक नूर ते सब जग उपजया, कौण भले, कौण मंदे
चाईबासा : गुरु गुरुनानक देव जी का संदेश ‘एक नूर ते सब जग उपजया, कौण भले, कौण मंदे..’ लोगों तक पहुंचाया गया. गुरुनानक देव जी की जयंती पर रविवार को अखंड पाठ के समाप्त होने के बाद निसान साहिब का चोला बदला गया. इसके बाद अरदास की गयी. छोटे-छोटे बच्चों ने कविता पाठ किया और […]
चाईबासा : गुरु गुरुनानक देव जी का संदेश ‘एक नूर ते सब जग उपजया, कौण भले, कौण मंदे..’ लोगों तक पहुंचाया गया. गुरुनानक देव जी की जयंती पर रविवार को अखंड पाठ के समाप्त होने के बाद निसान साहिब का चोला बदला गया. इसके बाद अरदास की गयी.
छोटे-छोटे बच्चों ने कविता पाठ किया और स्त्री सत्संग ने कीर्तन किया. सामूहिक अरदास कर विश्व शांति की कामना की गयी.
गुरुद्वारा के ग्रंथी ज्ञानी सुखवंत सिंह ने गुरुनानक देव जी की जीवनी पर प्रकाश डाला. श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर ने कहा कि गुरु नानक देव जी एक समाज सुधारक ही नहीं, बल्कि सिख धर्म के प्रकाश पुंज थे.
उन्होंने अपने साथ बाला एवं मर्दाना को रखकर, सांप्रदायिक एकता की मिशाल दी. उन्होंने किसी जाति, धर्म व संप्रदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए शांति का संदेश दिया और इसके लिए उन्होंने पूरे विश्व का भ्रमण किया. प्रसाद वितरण के बाद गुरु का अटूट लंगर बरताया गया.
रात में स्त्री सत्संग की ओर से कीर्तन के बाद अरदास कर लंगर बरताया गया. सुरिंदर पाल सिंह, बलदेव सिंह, जशपाल सिंह, सरजीत सिंह खोखर, कृपाल सिंह व साधु सिंह की देख-रेख में सारे कार्यक्रम हुए. लंगर की जिम्मेदारी बलजीत सिंह खोखर, रौनक सिंह खोखर, जशबीर सिंह, हरजीत सिंह, जीजी सिंह, दीपक सिंह, करन सिंह खोखर, गुरमीत सिंह को सौंपी गयी थी.