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ताड़ के पत्तों की बनी झोपड़ी में कैसे कटेगी जाड़े की रात

चाकुलिया : चाकुलिया प्रखंड की कालापाथर पंचायत स्थित गोहालडीह और बनकांटी में विलुप्त होती आदिन जन जाति सबरों के लिए जाड़े की रात काटनी मुश्किल सी हो गयी है. क्योंकि इनके लिए आवास नहीं बना है. कई परिवार तो ऐसे हैं, जो ताड़ या फिर खजूर पत्तों की बनी झोपड़ी में गुजारा कर रहे हैं. […]

चाकुलिया : चाकुलिया प्रखंड की कालापाथर पंचायत स्थित गोहालडीह और बनकांटी में विलुप्त होती आदिन जन जाति सबरों के लिए जाड़े की रात काटनी मुश्किल सी हो गयी है. क्योंकि इनके लिए आवास नहीं बना है. कई परिवार तो ऐसे हैं, जो ताड़ या फिर खजूर पत्तों की बनी झोपड़ी में गुजारा कर रहे हैं.

पर्याप्त कपड़े भी नहीं है. कंबल भी नहीं है. बारी सबर(75) नामक एक सबर वृद्धा साल जंगल के पास झाड़ियों के बीच ताड़ पत्तों से बनी झोपड़ी में रहती है. साथ में पुत्र उसका परिवार भी रहता है.

सबर वृद्धा ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि घर नहीं है. फूस की झोपड़ी बनायी थी. पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से ध्वस्त हो गयी. इसके बाद ताड़ पत्तों की झोपड़ी बनायी. इसी में रहती हूं. वृद्धा ने कहा कि कंबल भी फट गया है. ओढ़ने के लायक नहीं है. रात में कपड़ा ओढ़ कर गुजारा करना पड़ रहा है.

विदित हो कि यहां के कई सबरों के लिए वर्ष 1992 के आसपास इंदिरा स्वीकृत हुए थे. कई आवास बनाये गये और कई अधूरे रह गये थे. आज वैसे आवास अस्तित्व विहीन हो गये हैं.

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