– कमल विश्वास –
चाईबासा : राज्य में जनप्रतिनिधि, नेता, मंत्री चाहे जो भी दावा करें लेकिन झारखंड गठन के तेरह साल बाद भी कई क्षेत्रों में पानी की बूंद-बूंद के लिए बड़ी आबादी मशक्कत कर रही है. इसका नजारा दिखायी पड़ता है हाटगम्हरिया प्रखंड के जामडीह पंचायत अंतर्गत देवझरी गांव के लुपुंगकुटी टोली में.
यहीं की महिलाएं प्रतिदिन पीने का पानी लाने के लिये एक किलोमीटर दूर जमीन की सतह से करीब पचास फीट गहरी खाई में बने एक छोटे से चुआं तक जाती है. वहां भी उन्हें साफ के बजाए मिलता है गंदा पानी. यहां पानी की हर बूंद कीमती है.
20 साल पहले खोदा गया था एकमात्र चापानल
पचास परिवार वाले लुपुंगकुटी टोली में लगभग 20 साल पहले पेयजल की समस्या दूर करने के लिये एक मात्र चापाकल की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन यह चापाकल भी काफी पुराना होने के कारण इसमें भी गंदा पानी निकलता है. नये चापाकल के लिये ग्रामीण कई बार विभाग को लिख चुके है.
विभागीय अधिकारियों के उदासीनता के कारण विभाग के सालों साल चक्कर काटने के बावजूद यहां नया चापाकल नहीं लग पाया है.