चार माह से अधूरा है शौचालय, लाभुक हो रहे परेशान

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर प्रखंड के अधिकांश इलाके में शौचालय निर्माण में लापरवाही बरती जा गयी है. कहीं सिर्फ गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है, तो कहीं दरवाजा, पीट का काम अधूरा पड़ा है. गांवों को निर्मल बनाने के लिए शुरू की गयी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अनदेखी की भेंट चढ़ गयी है, जबकि शौचालय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2016 4:31 AM

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर प्रखंड के अधिकांश इलाके में शौचालय निर्माण में लापरवाही बरती जा गयी है. कहीं सिर्फ गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है, तो कहीं दरवाजा, पीट का काम अधूरा पड़ा है. गांवों को निर्मल बनाने के लिए शुरू की गयी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अनदेखी की भेंट चढ़ गयी है, जबकि शौचालय निर्माण के लिए सरकार की ओर से फंड का आवंटन किया गया है.

प्रखंड में शौचालय निर्माण के लिए लाखों रुपये जारी किये गये हैं. बावजूद हाथिया पंचायत के बाइहातु व आसनतलिया पंचायत के आदिवासी टोला में शौचालय के नाम पर सिर्फ अनियमितता बरती गयी है. हाथिया पंचायत में चार माह से शौचालय का ढांचा बना कर खड़ा है, लेकिन पीट का काम शुरू तक नहीं किया गया है.
प्रत्येक शौचालय पर खर्च होंगे 12 हजार. प्रत्येक परिवार के लिए शौचालय का निर्माण होना है. योजना के मुताबिक एक शौचालय बनाने पर 12 हजार रुपये खर्च होंगे. लाभुकों के नाम पर राशि आवंटित की जाती है. ग्राम जल सहिया व स्वच्छता समिति की निगरानी में शौचालय का निर्माण होता है. शौचालय के लिए एक कमरे के साथ दो पीट व छोटी पानी की टंकी बनायी जाती है.
अनुमंडल में 6,235 शौचालय का होगा निर्माण. चक्रधरपुर अनुमंडल के ग्रामीण क्षेत्र में 6,235 शौचालय का निर्माण करना है. इसमें 7 करोड़ 48 लाख 20 हजार रुपये खर्च होंगे. शौचालय निर्माण में एक हजार इंट का प्रयोग करना है. चक्रधरपुर, गोइलकेरा, बंदगांव, सोनुवा, गुदड़ी, मनोहरपुर, आनंदपुर प्रखंड को खुले शौच से मुक्त करने के लिए शौचालय का निर्माण किया जायेगा.
क्या है योजना व उद्देश्य. भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना निर्मल भारत अभियान के तहत सभी घरों में शौचालय का निर्माण होना है. मकसद स्वच्छता को बढ़ावा देना है. खुले में शौच की प्रथा को बंद करना है. वर्ष 2022 तक संपूर्ण भारत को निर्मल बनाने की बात कही जा रही है. शौचालय निर्माण करने का जिम्मा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को सौंपा गया है. इससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. खुले में शौच करने से संक्रामक बीमारियों के फैलने से लोगों को दूर रखा जायेगा.

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