एक मौत ने खोली कई फाइलें
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रेंजर हत्याकांड.नये पदाधिकारियों के कारण प्रभावित हो रही जांच
एक मौत ने खोली कई फाइलें गोइलकेरा : रेंजर हत्याकांड के कारण कई संदिग्धों की बंद पड़ी फाइलें फिर से खुल गयी है. हत्या के तीसरे दिन भी पुलिस ने बिला, डलाईकेला, टुनिया आदि जगहों से कई लोगों को पूछताछ के लिए उठाया. पुलिस लकड़ी से जुड़े कारोबारियों व माफिया को तलाश कर रही है. […]
गोइलकेरा : रेंजर हत्याकांड के कारण कई संदिग्धों की बंद पड़ी फाइलें फिर से खुल गयी है. हत्या के तीसरे दिन भी पुलिस ने बिला, डलाईकेला, टुनिया आदि जगहों से कई लोगों को पूछताछ के लिए उठाया. पुलिस लकड़ी से जुड़े कारोबारियों व माफिया को तलाश कर रही है. बताया जा रहा है कि गोइलकेरा थाने में नये पुलिस पदाधिकारी के कारण भी जांच जिस दिशा में जानी चाहिए वह नहीं जा पा रही है. हालांकी लकड़ी तस्करी से जुड़े लोगों को उठाने का मतलब तो साफ दिख रहा है कि कौन से तस्कर क्षेत्र छोड़कर बाहर भाग चुका है इसकी पड़ताल पुलिस तेजी से कर रही है. लेकिन मामले को लेकर पुलिस पुरी तरह से सजग है. लकड़ी तस्करों की भारी फौज थाने में दिख रही है.
मौत का मामला दीवान पलंग से तो नहीं जुड़ा है
मौत का मामला दीवान पलंग से तो कहीं नहीं जुड़ी हुई है. दरअसल रेंजर के आवास में रखी एक फैंसी पलंग जब्त कर लाया गया था. उसे जब्ती सूची में डाला गया था या नहीं यह भी सवाल है. उक्त पलंग की सीट भी रेंजर सिद्धेश्वर सिंह ने बनवायी थी. घटना वाले दिन भी सुबह उक्त पलंग की रंगाई को लेकर रेंजर ने किसी के हाथ से करीब 6 हजार रुपये चक्रधरपुर बिनोद नाम के व्यक्ति को भेजा था. दीवान पलंग की कड़ी भी मौत से जुड़ी गुत्थी का कारण माना जा रहा है.
रेंजर के काटे गये ओफेंस भी बन सकते हैं आधार
रेंजर हत्याकांड में जब्त किये गये सामानों पर काटे गए ओफेंस भी कारगर साबित हो सकते हैं. दरअसल तीन वर्षों में सबसे अधिक किसपर ओफेंस काटकर मामला दर्ज किया गया है. कौन तस्कर ऐसे थे जिनकी रेंजर ने कभी ओफेंस नहीं काटी. हालंकी सूत्र तो यह भी बताते हैं की कई लकड़ी तस्करों से उनके ऐसे संबंध थे जिनको उन्होंने खुली छूट दे रखी थी.
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