चाईबासा में जिंदगी से जूझ रहा नवजात

दो घटनाएं दो सबक रोजमर्रा की जिंदगी में हर छोटी-बड़ी घटनाएं भविष्य के लिए बड़ा सबक दे जाती हैं. चाईबासा में एक नवजात की बीमारी से निजात पाने उसके मां-बाप डॉक्टर के पास न जाकर एक ओझा-गुणी के पास गये. उसने बीस दिन पहले जन्मे बच्चे के शरीर पर सीसा पीसकर करंज का तेल मिलाकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2013 6:06 AM

दो घटनाएं दो सबक

रोजमर्रा की जिंदगी में हर छोटी-बड़ी घटनाएं भविष्य के लिए बड़ा सबक दे जाती हैं. चाईबासा में एक नवजात की बीमारी से निजात पाने उसके मां-बाप डॉक्टर के पास न जाकर एक ओझा-गुणी के पास गये. उसने बीस दिन पहले जन्मे बच्चे के शरीर पर सीसा पीसकर करंज का तेल मिलाकर मालिश करने की सलाह दे दी.

मां-बाप ने बिना सोचे-समझे यह नुस्खा आजमाया. नतीजन बच्चे की जान पर बन आयी, उसे अस्पताल में भरती कराना पड़ा. दूसरी घटना में क्रिसमस की छुट्टी में पिकनिक मनाने नरवा पहुंचे छात्रों के साथ एक अनहोनी हो गयी. नदी की गहराई से अनजान सभी दोस्त नहाने उतर गये.

तभी एक लड़का डूबने लगा. उसे बचाने के चक्कर में आदित्यपुर निवासी 11वीं का छात्र आशीष अपनी जान गंवा बैठा. गहरे में पानी में उतरना छात्रों के लिए ठीक नहीं, इसकी जानकारी हर अभिभावक को अपने बच्चों को देनी चाहिए. नवजात के शरीर पर शीशा पीस कर मालिश करने का मामला

चाईबासा : जादू-टोना तथा टोटका के चक्कर में पड़कर मां-बाप की नादानी की सजा भुगत रहे 20 दिन के बच्चे की जान खतरे में है. करंज के तेल में पीसा सीसा मिलाकर मालिश किये जाने से बच्चे के शरीर के शरीर का स्कीन बुरी तरह झुलस गया है. उसे नाजुक स्थिति में मंगलवार को सदर अस्पताल के कुपोषण केंद्र में भर्ती कराया गया था.

डॉक्टर बताते हैं कि बंदगांव प्रखंड के गुइपाई गांव के सुकराम लामाय के नवजात बेटे बिरसा को बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज भेजने की दरकार है. बाहर ले जाकर इलाज कराने के लिए मां-बाप के पास पैसे नहीं हैं. इलाजरत बच्चे की मां ने मदद की गुहार लगायी है.

नवजात का इलाज कर रहे डॉ डॉ जगन्नाथ हेंब्रम ने बताया कि उसकी हालत नाजुक है. फिलहाल उसके शरीर पर दवाओं का लेप किया जा रहा है और इंजेक्शन भी दिया गया है.

बेहतर इलाज के लिए बाहर भेजना जरूरी : डॉक्टर

बेहतर इलाज के लिए बच्चे को बाहर भेजना जरूरी है. हालांकि हम अपनी ओर से हर कोशिश कर रहे हैं. मां-पिता के पास सामर्थ्‍य नहीं होने के कारण इसे बाहर भेजने में दिक्कत आ रही है.

इलाजरत नवजात के अभिभावक काफी गरीब हैं. यहां से बाहर भेजे जाने के बाद पैसे के अभाव में वे आधा-अधूरा इलाज करा कर ही वापस आ जायेंगे.

डॉ जगन्नाथ हेंब्रम, कुपोषण केंद्र, चाईबासा

मां की अपील

कुपोषण केंद्र से बाहर ले जाकर बच्चे का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं. मेरा एक बेटा दो साल का है. पति के साथ मैं भी खेती करती हूं. काफी मुश्किल से गुजर बसर हो रहा है. बच्चे के बाहर ले जाकर इलाज कराने में अगर मदद हो जायेगी, तो मेरे बेटे का सही से इलाज हो जायेगा. हालांकि कुपोषण केंद्र में बच्चे का इलाज चल रहा है.

मदाय लमाय, बच्चे की मां

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