चाईबासा. रोमन कैथोलिक चर्च में मना उजाला रविवार

ईश्वर से आध्यात्मिक सुख मिलता है : फादर हालेन 76 बच्चों ने प्रथम परम प्रसाद किया ग्रहण फादर हालेन ने चढ़ाया विशेष मिस्सा बच्चों के प्रथम परम प्रसाद लेने पर फादर हालेन विशेष मिस्सा चढ़ाया गया. मिस्सा के दौरान फादर थासन, फादर किशोर, फादर जोसेफ, फादर रोस्टर ने भी बच्चों के लिए विशेष प्रार्थना की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2016 5:59 AM

ईश्वर से आध्यात्मिक सुख मिलता है : फादर हालेन

76 बच्चों ने प्रथम परम प्रसाद किया ग्रहण
फादर हालेन ने चढ़ाया विशेष मिस्सा
बच्चों के प्रथम परम प्रसाद लेने पर फादर हालेन विशेष मिस्सा चढ़ाया गया. मिस्सा के दौरान फादर थासन, फादर किशोर, फादर जोसेफ, फादर रोस्टर ने भी बच्चों के लिए विशेष प्रार्थना की. प्रथम प्रसाद लेने वाले बच्चों के माता- पिता अपने परिवार में विशेष भोज का आयोजन कर रिश्तेदार और परिचितों को आमंत्रित किया. इस मौके पर काफी संख्या में ईसाई परिवार के लोग उपस्थित थे.
कार्यक्रम को भक्तिमय बनाने के लिए पल्ली कोयर ग्रुप संजीव कुमार बलमुचु की अगुवाई में मधुर भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया. इसमें रोबिन बलमुचु, अमातुस तोपनो, रोयलेन तोपनो, रंजीत मुंडु, जेवियर देवगम आदि महती भूमिका निभायी.
बच्चों ने सफेद पोशाक में संस्कार ग्रहण किया. इसका अर्थ है कि हृदय में शुद्धता रहे. बच्चों को हृदय में ईश्वर बसाने का संदेश दिया गया.
चाईबासा : पल्ली पुरोहित फादर हालेन बोदरा ने कहा कि दुनिया में दो तरह के माता-पिता होते हैं. एक भौतिक व दूसरा आध्यात्मिक. भौतिक माता-पिता हमें बाहरी सुख देते हैं, जबकि आध्यात्मिक सुविधा हमें ईश्वर से मिलता है. दोनों हमारे लिए जरूरी है. इसमें आध्यात्मिक सुख अति आवश्यक है. आध्यात्मिक सुख हमें बुरे विचारों से दूर कर आत्मिक शांति देती है. बच्चे सफेद पोशाक में संस्कार ग्रहण कर रहे हैं.
इसका मतलब है कि ह्रदय में शुद्धता रहे. रोमन कैथोलिक चर्च में उजाला रविवार के दौरान वे लोगों को संदेश रहे थे. बच्चों को संदेश दिया कि वे अपने ह्रदय में ईश्वर का मंदिर बनायें. फादर ने कहा कि परम प्रसाद ग्रहण करना हम ईसाईयों के लिए महत्वपूर्ण संस्कार है.
उन्होंने कहा कि बच्चे इस संस्कार के साथ आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करते हैं. इसलिए उन्हें चर्च आकर प्रार्थना में करने का संकल्प लेना चाहिये. इस अवसर पर 76 बच्चे-बच्चियों ने प्रथम परम प्रसाद ग्रहण किया. इस दौरान संस्कार ले रहे बच्चों ने मोमबत्ती हाथ में लिए पाप के मार्ग नहीं चलने का संकल्प लिया.
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