शुल्क हटाने से लौह अयस्क का निर्यात विदेशों में बढ़ा

निर्यात और डोमेस्टिक शुल्क समान होने से स्टील उद्योग को मिला बढ़ावा चक्रधरपुर : अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क की मांग बढ़ाने और स्टील उद्योग को बढ़ावा देने के लिये निर्यात और डोमेस्टिक (घरेलू) शुल्क को समान कर दिया गया है. वहीं कंपनियों को लगने वाला निर्यात का अतिरिक्त शुल्क व बंदरगाह शुल्क को हटाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2016 5:19 AM

निर्यात और डोमेस्टिक शुल्क समान होने से स्टील उद्योग को मिला बढ़ावा

चक्रधरपुर : अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क की मांग बढ़ाने और स्टील उद्योग को बढ़ावा देने के लिये निर्यात और डोमेस्टिक (घरेलू) शुल्क को समान कर दिया गया है. वहीं कंपनियों को लगने वाला निर्यात का अतिरिक्त शुल्क व बंदरगाह शुल्क को हटाया गया. इससे लौह अयस्क का अधिक निर्यात होने लगा है. रेलवे के फ्रेट लोडिंग के क्षेत्र में काफी प्रभाव पड़ा है. चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीने में फ्रेट लोडिंग में 10 फीसदी वृद्धि हुयी है.
उक्त बातें मंडल रेल प्रबंधक राजेंद्र प्रसाद ने प्रभात खबर से विशेष वार्ता में कही. श्री प्रसाद ने कहा कि तीन साल पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क की मांग अधिक थी. उद्योगपति लौह अयस्क से अधिक आमदनी करते थे. इसके अनुपात में रेलवे द्वारा निर्यात करने पर अलग शुल्क निर्धारित किया गया था, जो डोमेस्टिक से कई गुना अधिक लोडिंग चार्ज लगता था. बंदरगाह पर गाड़ियों का जमा होने पर बंदरगाह शुल्क भी लगता था.
परादीप से लौह अयस्क को अस्ट्रेलिया व चीन तथा अन्य देश निर्यात होता था. लेकिन दो साल में विश्व बाजार में लौह अयस्क की मांग घटने लगी. इसका प्रभाव रेलवे के लौह अयस्क निर्यात पर पड़ रहा था. इसके मद्देनजर रेलवे बोर्ड के नये नियम लागू किये गये. इसके मुताबिक अब निर्यात और डोमेस्टिक घरेलू उपयोग का शुल्क समान लगेगा. अब भिलाई और परादीप के लिये अलग-अलग लोडिंग चार्ज नहीं देना पड़ेगा. समान दूरी के लिये भाड़ा भी समान लगेगा.
इसके परिणाम स्वरुप चक्रधरपुर रेल मंडल से लौह अयस्क की निर्यात विदेशों होने लगी है. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीने अप्रैल, मई और जून में चक्रधरपुर रेल मंडल ने लक्ष्य से अधिक फ्रेट लोडिंग की है, जो गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 10 फीसदी अधिक है. जुलाई माह में सेल व टाटा जैसे कंपनी के उत्पादकता में कमी आयी है. यही वजह है कि जुलाई में अब तक फ्रेट लोडिंग लक्ष्य से कम हुआ है. बावजूद इसके गत वर्ष की तुलना में पांच फीसदी अधिक है.

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