चाईबासा चेंबर ऑफ कॉमर्स से 11 सदस्य हुए बरखास्त

बैठक मेें शामिल चेंबर के सदस्य. संगठन में रहते हुए कोल्हान चेंबर के नाम से संगठन बनाने का आरोप 77वीं कार्यसमिति की इमरजेंसी बैठक में लिया गया निर्णय चाईबासा : चाईबासा चेंबर ऑफ कॉमर्स ने अपने 11 सदस्यों की सदस्यता रद्द करते हुए संगठन से बाहर कर दिया है. इसका निर्णय बुधवार को चाईबासा चेंबर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2016 7:27 AM

बैठक मेें शामिल चेंबर के सदस्य.

संगठन में रहते हुए कोल्हान चेंबर के नाम से संगठन बनाने का आरोप
77वीं कार्यसमिति की इमरजेंसी बैठक में लिया गया निर्णय
चाईबासा : चाईबासा चेंबर ऑफ कॉमर्स ने अपने 11 सदस्यों की सदस्यता रद्द करते हुए संगठन से बाहर कर दिया है. इसका निर्णय बुधवार को चाईबासा चेंबर की 77वीं कार्यसमिति की इमरजेंसी बैठक में लिया गया. उक्त 11 सदस्यों पर आरोप है कि इन्होंने चाईबासा चेम्बर का सदस्य रहते हुए संगठन चुनाव में पराजित होने के तत्काल बाद 14 अक्तूबर को कोल्हान चेंबर नाम से एक नये चेंबर का गठन कर चाईबासा चेंबर की नीतियों, संविधान व हितो के विरोध में कार्य किया. इसके कारण चाईबासा चेंबर की धारा 14(ई) के तहत 11 लोगों पर कार्रवाई हुई. इनमें विकास चंद्र मिश्र, श्याम बिहारी अग्रवाल, बजरंग लाल चिरानिया, राकेश बुधिया, राजकुमार मुंधड़ा, निरंजन गोयल, इम्तियाज खान, पवन कुमार चांडक, आलोक कत्याल, प्रभात कुमार दोदराजका और नारायण पाड़िया शामिल हैं. ये लोग चाईबासा चेंबर की किसी गतिविधियों में भाग नहीं ले सकेंगे.
नये संगठन बनाने के बाद भी नहीं दिया त्यागपत्र
श्री शर्मा ने कहा कि नये संगठन के गठन के बाद नैतिकता के आधार पर उन्हें खुद चाईबासा चेंबर की सदस्यता से त्यागपत्र देना चाहिए था. एक वर्ष बीतने के बाद भी उन्होंने त्यागपत्र नहीं दिया. इसके बाद चाईबासा चेंबर की कार्यसमिति को विवशता में दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय लेना पड़ा. बैठक में सचिव मधुसूदन अग्रवाल, नितिन प्रकाश व अन्य उपस्थित थे.
चुनाव हारने पर बनाया नया संगठन
बैठक की अध्यक्षता कर रहे चाईबासा चेंबर के अध्यक्ष ललित शर्मा ने प्रस्ताव रखा कि कोल्हान चेंबर का गठन ऐसे सदस्यों ने किया, जो वर्षों तक चाईबासा चेंबर के पदाधिकारी रहे. इतना ही नहीं इन्होंने कई बार चुनाव लड़कर सफलता प्राप्त की. सत्र 2015-17 के चुनाव में पराजित हो गये, तो उन्होंने कोल्हान चेम्बर का गठन कर लिया. उनके कदम से स्पष्ट होता है कि वे चाईबासा चेंबर की नीतियों, उद्देश्य, कार्यक्रम व संविधान में विश्वास नहीं करते हैं.

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