पश्चिम सिंहभूम का लोकप्रिय पर्व टुसू 14 से

बुधवार को गुदड़ी बाजार के साप्ताहिक हाट में टुसू की खरीदारी करते ग्रामीण चक्रधरपुर : झारखंड के सिंहभूम जिले का अतिलोकप्रिय टुसू पर्व अपने पारंपारिक रीति-रिवाजों के साथ 14 जनवरी से शुरू हो जायेगा, जो सप्ताह भर चलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्राति व टूसू पर्व की तैयारी जोर शोर से की जा रही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2017 3:44 AM

बुधवार को गुदड़ी बाजार के साप्ताहिक हाट में टुसू की खरीदारी करते ग्रामीण

चक्रधरपुर : झारखंड के सिंहभूम जिले का अतिलोकप्रिय टुसू पर्व अपने पारंपारिक रीति-रिवाजों के साथ 14 जनवरी से शुरू हो जायेगा, जो सप्ताह भर चलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्राति व टूसू पर्व की तैयारी जोर शोर से की जा रही है. क्षेत्र के लोग टुसू पर्व को विभिन्न रूप से मनाते हैं. यह पर्व पूरे भारत वर्ष में अलग-अलग तरीके से माया जाता है. पूना में खिचड़ी पर्व, केरल में पोंगल, बंगाल में तिलकुट संक्रांति, पंजाब में लोहड़ी एवं बिहार, ओड़िशा व झारखंड में मकर संक्रांति के नाम से जाता जाता है.
गुड़ पीठा का है महत्व: मकर संक्राति पर्व पर घरों में तिलकुट, मकर पीठा, गुड़ पीठा, नारियल लड्डु आदि व्यंजन बनाये जाते हैं. टुसू पर्व में गुड़ पीठा का विशेष महत्व है. टुसू पर्व के मौके पर मकर स्नान के बाद नये वस्त्र पहन कर तिल व पीठा खाने-खिलाने का रिवाज है.
दान करने की भी है परंपरा : बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थी. इस दिन के पूर्व मकर राशि प्रवेश करता है. सूर्य के इस अवतारण होने को मकर संक्रांति कहते है. इस दिन लोग आस्था और विश्वास के साथ नदी व सरोवरों में पवित्र स्नान कर तिल, दही, चूड़ा आदि खाते व एक-दूसरे को खिलाते है. इससे आपसी भाईचारा की झलक दिखायी पड़ती है. इस दिन लोग दान देकर परंपरा को निभाते है.
सप्ताह पूर्व काम-काज छोड़कर आते हैं ग्रामीण
टुसू पर्व या मकर संक्रांति ग्रामीण व शहरवासियों के लिए काफी उत्साह का पर्व माना जाता है. इस दिन घर से दूर रहने वाले लोग पर्व को मनाने के लिये लोग काम-काज छोड़ कर अपने घर वापस आते हैं.
जगह-जगह लगता है टुसू मेला
चक्रधरपुर अनुमंडल के सात प्रखंड गोइलकेरा, सोनुवा, चक्रधरपुर, बंदगांव, आनंदपुर, मनोहरपुर, गुदड़ी में जगह-जगह भव्य रूप से टुसू मेला का आयोजन होता है. मेला के साथ-साथ खेलकूद प्रतियोगिता व नृत्य का आयोजन होता है.
होता है मुर्गापाड़ा का आयोजन
जगह-जगह पर लगने वाले टुसू पर्व में मुर्गापाड़ा व हब्बा-डब्बा का भी आयोजन किया जाता है, जो वर्षों से परंपरा चली आ रही है.

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