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स्नान-दान के साथ मना मकर संक्रांति का त्योहार, टुसू मेले में उमड़ा ग्रामीणों का रेला

जैंतगढ़ के रामतीरथ धाम में वैतरणी नदी पर स्चान करने आये श्रद्धालु. स्नान कर गरीबों को पैसे दान करती महिला श्रद्धालुु.प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीEarthquake: क्यों कांप रही हमारी धरती, ऐसा क्या राज दफन है कई किलीमीटर नीचेपीएम मोदी YouTube से करते हैं करोड़ों की कमाई, एक वीडियो से हुई 10780560 रुपये की आमदनीNepal Violence […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2017 12:59 AM

जैंतगढ़ के रामतीरथ धाम में वैतरणी नदी पर स्चान करने आये श्रद्धालु. स्नान कर गरीबों को पैसे दान करती महिला श्रद्धालुु.

हजारों श्रद्धालुओं ने लगायी ‘मकर डुबकी’
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर शनिवार अहले सुबह हजारों श्रद्धालुओं ने कुजू, रोरो व वैतरणी नदी में पवित्र डुबकी लगायी.
चाईबासा : में जहां विभिन्न मंदिरों में भीड़ रही. वहीं अधिकतर श्रद्धालुओं ने रामतीर्थ धाम, नीलकंठ संगम, केसरकुंड, मुर्गा महादेव, कांड्रा एवं जैंतगढ़ वैतरणी घाट पर पवित्र स्नान किया. श्रद्धालुओं ने स्नान के समय वैतरणी में मकर पीठा का विसर्जित किया. सूर्यदेव को अर्पण कर पित्रों को मोक्ष प्राप्ति की कामना की.
स्नान के पश्चात दही चूड़ा, तिलकुट व गुड़-पीठा का सेवन कर बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने के पश्चात दान पूर्ण कर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की. इसे लेकर रामतीर्थ मंदिर में श्रद्धालुओं सबसे अधिक भीड़ रही. श्रद्धालुओं ने रामेश्वरम शिव मंदिर में पूजा करने के साथ सीताराम मंदिर और जगन्नाथ मंदिर में भी पूजा की. चाईबासा समेत आसपास गांवों में भी मकर संक्रांति मनायी गयी. युवतियों ने टुसू नृत्य किया. जगन्नाथपुर में भी मकर संक्रांति पर पूजा अर्चना कर मनाया गया.
मेला में जुटे हजारों लोग : मकर संक्रांति के अवसर पर रामतीर्थ धाम, केसरकुंड, बाराटिबरा और गोरिया डुबा आदि क्षेत्रों में विशाल धार्मिक मेला लगा. रामतीर्थ में लगभग 30 हजार की भीड़ जुटी. भक्तों ने पूजा अर्चना के बाद मेले का आनंद लिया. मेले में झारखंड के पश्चिमी एवं पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, ओड़िशा के क्योंझर, सुंदरगढ़ और म्यूरभंज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. मेले में झूूला, कठपुतली नाच और मैजिक आदि मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा. बच्चे एवं महिलाएं खिलौनो की खरीदारी में व्यस्त रहे. लोगों ने परंपरा के अनुसार ईख की खरीदारी की.
मेले को लेकर क्षेत्र के लोगों में काफी उत्साह दिखा. कोई पैदल, तो कोई वाहनों लटक कर मेला पहुंच रहा था. कुछ लोग तो बैलगाड़ी और ट्रैक्टर सवार होकर भी मेला पहुंचे. मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, विधायक गीता कोड़ा, भाजपा पूर्व विधायक बड़कुंवर गगराई, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मनोज झा, उप प्रमुख संजय बारिक, बीडीओ रामनारायण खलको, भनगांव मुखिया राजकुमार बानरा, कमेटी के प्रभात प्रधान, बनेश्वर मांझी, सजीत केवर, अजीत खिलार, अशोक प्रधान, रजीत केवर, भरत केवर समेत अन्य उपस्थित थे.
पुलिस प्रशासन रहा मुस्तैद
: मेले में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा. चाईबासा एवं जगन्नाथपुर से पुलिस बल हर मोर्चे पर तैनात रही. मेले में खोया पाया मंच बनाया गया था तथा मेला कमेटी के सदस्य भी विधि-व्यवस्था बनाये रखने में सक्रिय रहे. इधर, चक्रधरपुर अनुमंडल में मकर संक्रांति का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया. पर्व की शुरुआत पवित्र मकर के पवित्र स्नान से हुई. इसे लेकर अनुमंडल के विभिन्न नदी-तालाबों में श्रद्धालुअों का भीड़ लगी रही. चक्रधरपुर के संजय नदी एवं मनोहरपुर के कोयल व कोयना नदी तट, समीज स्थित काली कोकिला संग पर विश्व कल्याण आश्रम में स्नान करने को लेकर अहले सुबह से ही लाेगों की भीड़ लगी रही. स्नान-ध्यान कर भगवान सूर्य की पूजा की. पूजा को लेकर मां केरा, मां कंसरा,
मां पाउंडी समेत मनोहरपुर के संत नरसिंह आश्रम, बाबा मणिनाथ मंदिर, छोटानागरा व डुकूडीह शिवालय आदि देवस्थानों पर भक्तों की कतार लगी रही. इसके बाद शुरू चूड़ा-दही और तिल-तिलवा व पीठा खाने-खिलाने का दौर.
टुसू मेला से गुलजार रहे ग्रामीण क्षेत्र, चलता रहा मुर्गा पाड़ा का दौर
मकर संक्रांति पर चक्रधरपुर समेत बंदगांव, मनोहरपुुर, आनंदपुर, सोनुवा, गोइलकेरा आदि प्रखंडों के सैकड़ों स्थानों पर टुसू प्रतिमा स्थापित कर मेला समेत पारंपरिक खेलकूद प्रतियोगिताअों का आयोजन किया गया है. इस दौरान युवतियों एवं महिलाअों की टोली ने नृत्य किया. वहीं मुर्गा पाड़ा का दौर चलता रहा. मकर को लेकर पूरे अनुमंडल में जश्न का माहौल है.
कूल देवी को अर्पण करते हैं पीठा
बाउड़ी का बना अरवा चावल पीठा को घर के बुजुर्गों ने स्नान के बाद नये वस्त्र धारण कर कूल देवी व पितरों को भक्ति पूर्वक अर्पण किया.
मिट्टी के बरतन में बने पीठा और पकवान
मकर संक्रांति पर मिट्टी के बरतनों का विशेष महत्व है. इसे लेकर घरों में मिट्टी के बरतनों में तरह-तरह के पीठे बनाये गये. इस अवसर पर मंदिरों के साथ-साथ घरों में भी विशेष पूजा अर्चना हुई.

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