लघु सिंचाई योजना बंद होने से दो हजार किसान बदहाल
क्षेत्र की पांच एकड़ जमीन पर खेती राम भरोसे 80 के दशक में सोना उगलते थे क्षेत्र के खेत जैंतगढ़ : जैंतगढ़ व आसपास 80 के दशक में खेती से लोग अपना जीविकोपार्जन करते थे. खेती से ग्रामीण खुशहाल थे. वैतरणी की अमृत धारा लघु सिंचाई विभाग खेतों तक पहुंचाता था. वैतरणी का पानी से […]
क्षेत्र की पांच एकड़ जमीन पर खेती राम भरोसे
80 के दशक में सोना उगलते थे क्षेत्र के खेत
जैंतगढ़ : जैंतगढ़ व आसपास 80 के दशक में खेती से लोग अपना जीविकोपार्जन करते थे. खेती से ग्रामीण खुशहाल थे. वैतरणी की अमृत धारा लघु सिंचाई विभाग खेतों तक पहुंचाता था. वैतरणी का पानी से खेत सोना उगलते थे. अचानक इस परियोजना पर किसी की नजर लग गयी. कर्मियों का वेतन और रखरखाव का खर्च बंद कर दिया गया. इससे क्षेत्र के करीब 2 हजार किसान प्रभावित हुए. करीब 5 हजार एकड़ जमीन में अब खेती राम भरोसे हैं. पहले खरीफ में गरमा धान, रबी में चना, मटर व गेहूं की खेती होती थी. वहीं नदी किनारे तरबूजे, शकरकन्द, आलू प्याज और तम्बाकू के साथ सब्जियां उगायी जाती थी. भनगांव से कुवापाड़ा तक वैतरणी के किनारे 16 लघु सिंचाई केंद्र बनाये गये थे. यहां के पंप हाउस से वैतरणी का पानी खेतों तक पहुंचाया जाता था.
लघु सिंचाई योजना से यहां के किसान खुशहाल थे. इच्छाशक्ति के अभाव में परियोजना को सरकार ने मृत कर दिया.
हरिहर राठौर, मानकी
जैंतगढ़
परियोजना धाराशायी हो गयी. रख रखाव के अभाव में पम्प हाउस से ट्रांसफॉर्मर, मोटर गायब होने लगे. पाइपलाइन चोरी होने लगी.
पूर्ण चंद्र पिंगुवा, अंचल अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
परियोजना से जगन्नाथपुर प्रखंड की आठ पंचायतों के किसान का जीविकोपार्जन चल रहा था. भनगांव, देव गांव, ब्रहम्पुर, बांसकांटा, दलपोसी, खुंटियापदा, तुरली, पुटगांव, कुवा पाड़ा, पड़सा आदि के किसानों को सरकार चाहे फिर से खुशहाल बना सकते हैं.
-जमादार लागुरी, पूर्व अध्यक्ष, मामु संघ
सरकार बिना मतलब हर साल सिंचाई कुआं, सिंचाई तालाब आदि में करोड़ों रुपये खर्च करती है. इनका धरातल पर उपयोगिता शून्य के बराबर है. सरकार इस लघु सिंचाई परियोजना को आधुनिक तकनीक से फिर से चालू करे, तो क्षेत्र के खेत एक बार फिर सोना उगलेंगे.
-अशोक मिश्रा, जगन्नाथपुर अनुमंडल अध्यक्ष, मानवाधिकार संगठन