20 घंटे बाद रस्सी से बनी डोली में घायल को पहुंचाया अस्पताल
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आजादी के 70 साल बाद भी सारंडा में मानवता हो रही शर्मसार
वहीं शव को कंधे पर लेकर पांच किलोमीटर पैदल गये ग्रामीण
सारंडा के कादोडीह गांव से किरीबुरू लाने के लिए नहीं है सड़क
किरीबुरू : आजादी के 70 साल बाद भी सरकारों की उदासीनता के कारण सारंडा में मानवता को शर्मसार करने वाला दृश्य दिख रहे हैं. शराबी बेटे की पिटाई से मृत पिता और घायल मां को पोस्टमार्टम व इलाज के लिए अस्पताल लाने में पुलिस व ग्रामीणों को 20 घंटे लग गये. घायल महिला 20 घंटे तक दर्द से कराहती रही, लेकिन सारंडा के कादोडीह गांव से नजदीकी अस्पताल किरीबुरू अस्पताल तक लाने के लिए रास्ता तक नहीं है. ग्रामीणों ने घायल महिला सिलवंती को लकड़ी की मचिया के चार पाव में रस्सी बांधकर गांव से पांच किलोमीटर दूर संपर्क सड़क करमपदा तक लाया गया. यहां से वाहन की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया.
सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में अकसर ऐसा नजारा दिख जाता है, जो सारंडा के विकास को लेकर दावा करने वाली सरकारों का पोल खोल रही है. इन गांवों में चिकित्सा व एंबुलेंस की सुविधा नहीं है. मुख्य सड़क से कादोडीह की दूरी पांच किलोमीटर है, लेकिन यहां जाने का रास्ता नहीं है. ग्रामीण पहाड़ों की पगडंडी के सहारे आवागमन करते हैं.
20 घंटे बाद गांव से उठाया गया शव
शराब पीने के लिए पैसे नहीं देने पर पुत्र जोसेफ कन्डुलना ने सोमवार को पिता कैलाश की पीटकर हत्या कर दी थी. घटना के 20 घंटे बाद कैलाश कन्डुलना का शव ग्रामीणों के सहयोग से किरीबुरु थाना प्रभारी अशोक कुमार के नेतृत्व में सीआरपीएफ जवानों ने कादोडीह से किरीबुरू लाया. ग्रामीण पांच किलोमीटर तक अर्थी कंधे पर लेकर पैदल गये. इस दौरान ग्रामीणों को दुर्गम रास्ता व पहाड़ होने की वजह से भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा.