जाटीसोरेंगे जंगल को काट बना दिया मैदान

वनाधिकार पट्टे के लोभ में असामाजिक तत्व काट रहे हैं जंगल किरीबुरू : नक्सल प्रभावित सारंडा के जाटीसेरेंग (करमपदा-थलकोबाद मुख्य मार्ग) क्षेत्र में असामाजिक तत्वों ने दर्जनों एकड़ रिजर्व वन भूमि पर कीमती लकड़ियों से भरे जंगल को काटकर मैदान बना दिया. जंगल की यह कटाई पिछले एक महीना के दौरान की गयी है. जबकि, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2017 5:05 AM

वनाधिकार पट्टे के लोभ में असामाजिक तत्व काट रहे हैं जंगल

किरीबुरू : नक्सल प्रभावित सारंडा के जाटीसेरेंग (करमपदा-थलकोबाद मुख्य मार्ग) क्षेत्र में असामाजिक तत्वों ने दर्जनों एकड़ रिजर्व वन भूमि पर कीमती लकड़ियों से भरे जंगल को काटकर मैदान बना दिया. जंगल की यह कटाई पिछले एक महीना के दौरान की गयी है. जबकि, प्रतिदिन वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी इस मार्ग से थलकोबाद-किरीबुरु आना जाना करते हैं. सारंडा के ग्रामीणों ने भी इस कटाई के बाबत अनेकों बार वन विभाग को सूचना दी. लेकिन, कार्रवाई नहीं हुई.

जाटीसेरेंग के जिस स्थान पर जंगल काटे गये हैं. उस कोयना नदी पर तत्कालीन आइएफएस दिलीप यादव ने सरकार के लाखों रूपये खर्च कर चेकडैम बनवाया था. ताकि, यहां पर्यटक नौका विहार एवं पिकनीक का मजा परिवार संग उठा सके. भूमिगत जल स्तर भी उंचा करने और सारंडा में जल संकट नहीं होने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया था.

वनाधिकार पट्टे के लोभ में दर्जनों असामाजिक तत्वों ने इस चेकडैम के आसपास के जंगलों को हीं काट डाला. ताकि, भविष्य में वे यहां पानी की उपलब्धता की वजह से खेती कर सके. सारंडा के प्रायः प्राकृतिक जल स्त्रोत एंव नदी-नाले सूख रहे हैं. ऐसे में अनेक गांव के ग्रामीण अब जहां पानी की उपलब्धता है वहां मुख्य सड़क किनारे के जंगलों को काट जमीन पर कब्जा करने के कार्य में लगे हैं. जब से सरकार ने जंगल में बसे लोगों को वनाधिकार का पट्टा देने की घोषणा की है

तब से जंगल कटाई में भारी वृद्धि हुई है. बीते वर्ष जनवरी व फरवरी महीने में क्रमशः गुवा रेंज के रोआम-दुईया गांव के बीच मुख्य सड़क के दोनों किनारे लगभग दो किलोमीटर तक तथा समठा रेंज के बिटकिलसोय-नयागांव के बीच लगभग हजारों एकड़ वन भूमि पर कटाई हुई थी. इस कटाई में हजारों कीमती पेड़ों को काट मैदान बनाया गया था. जंगल काटने वालों से पूछने पर उन्होंने कहा कि हम पेड़ नहीं काटे हैं बल्कि हमारे जमीन में उग आई झाडी़यों को साफ किये है. जबकि सच्चाई यह है

कि वे लोग जिसे झाड़ी बता रहे हैं, वह 35 वर्ष पुराना पेड़ था. रोवाम व दुईया क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने तो जंगल काट जमीन पर दावा ठोकने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि जान देंगे, लेकिन जमीन नहीं कब्जा करने देंगे. बीते वर्ष 18 जून को झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एके प्रभाकर, शशिनंद कलियार ( अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, जमशेदपुर) समेत सारंडा, कोल्हान एवं पोडा़हाट के डीएफओ आदि ने जाटीसेरेंग डैम में नौका विहार का आनंद उठाया था. इसे सारंडा के लिये बेहतर कार्य बताया था. लेकिन आज अभिशाप बनता दिख रहा है.

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