प्रतिनिधि, जैंतगढ़
चाईबासा के साथ पड़ोसी राज्य ओडिशा के क्योंझर संसदीय सीट पर सभी पार्टियों की अपनी डफली अपनी राग है. दोनों सीटों पर नजदीकी मुकाबला और शहरी क्षेत्रों से चुनावी शोर अधिक उठने के कारण नेता के साथ कार्यकर्ता भी भ्रम में हैं. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र की कहानी अलग है. दोनों क्षेत्रों में 70% से अधिक ग्रामीण मतदाता हैं. दोनो दलों के कार्यकर्ता झामुमो हो या भाजपा, हार मानने को तैयार नहीं. सब अपने- अपने हिसाब से समीक्षा कर रहे हैं. किसी को जन जातीय मतदाताओं के साथ मूलवासी, पिछड़े और अल्प संख्यक मतों के भारी हुजूम के सहारे वैतरणी पार करने का भरोसा है, तो कोई शहरी मतदाताओं के पंख पर सवार होकर उड़ान भर रहा है. कोई सरायकेला विस क्षेत्र से भारी बढ़त लेकर चुनावी समर फतह करने का दावा कर रहा है, तो दूसरा दल उसे मझगांव विस क्षेत्र में भारी बढ़त से सरायकेला की बढ़त को कुंद करने का दंभ भर रहा है. थक हार कर दोनों दलों की धुकधुकी चार दिनों बाद आये चुनाव आयोग के नये डाटा ने बढ़ा दी है. बढ़े हुआ मतदान से किसी को जिन्न निकलने की आशा है, तो कोई कहीं खेला न हो जाये की चिंता में है. दलों के दावों के बीच कहीं न कहीं आत्मविश्वास में कमी दिख रही है. दोनों खेमा एक-दूसरे खेमे को गफलत में रखने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. दोनों दल पटाखे बुक कर रहे हैं. रोज अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने और विपक्ष को हताश करने के लिए मटन पार्टी का आयोजन हो रहा है. अब तो शर्त लगने लगी है. सट्टा का बाजार गर्म है. कोई भी 4 जून से पहले हार मानने को तैयार नहीं है.
वही दूसरी ओर चंपुआ विस सीट भी हॉट केक है. बीजद प्रत्याशी सनातन महाकुड़ जहां, 70 से 80 हजार मतों के अंतर से जीत का दंभ भर रहे हैं. वहीं भाजपा प्रत्याशी मुरली शर्मा इस बार शहरी मतों के साथ एंटी इनकंबेंसी से चुनावी वैतरणी पार होने का दावा कर रहे हैं.
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