राजनीतिक दल बंगाली समाज का कर रहे तिरस्कार, सोच-समझकर देंगे वोट
बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ने शनिवार को स्थानीय रविंद्र भवन में शाम में बैठक कर राजनीतिक दलों द्वारा बंगाली समाज की अनदेखी किये जाने पर चिंता जतायी.
चाईबासा : बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ने रवींद्र भवन में की बैठक, समाज की अनदेखी पर जतायी चिंता
चाईबासा.
बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ने शनिवार को स्थानीय रविंद्र भवन में शाम में बैठक कर राजनीतिक दलों द्वारा बंगाली समाज की अनदेखी किये जाने पर चिंता जतायी. इस दौरान समिति के सचिव राजेश राय ने कहा कि पूरे झारखंड के इस जोन में करीब 4.5 लाख से भी अधिक बंगाली समाज के लोग रहते हैं. उनकी उन्नति के लिए उनके समाज की भलाई के लिए जो भी राजनीतिक दल कार्य करेंगे, हमलोग सोच विचार कर ही उन्हें वोट करेंगे. हमारी कुछ मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है. जिसमें पहले हर जगह पर बांग्ला स्कूल हुआ करता था, लेकिन वह धीरे-धीरे बंद हो चुका है. स्कूलों में बंगाली शिक्षक की नियुक्ति होती थी, बांग्ला की पढ़ाई भी होती थी. इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन पर बोर्ड में जगह का बांग्ला भाषा में नाम लिखा रहता था, लेकिन उसे भी हटा दिया गया है. उसे भी लागू करें, क्योंकि झारखंड में अंग्रेजों से पूर्व भी बंगाली समाज के लोग यहां पर बसे हुए हैं. मगर हर राजनीतिक दल बंगाली समाज को तिरस्कार करते आए हैं. बैठक में चाईबासा, चक्रधरपुर, सिनी, कांड्रा, आदित्यपुर, गम्हरिया व जमशेदपुर से बंगाली सामुदायिक लोगों ने विरोध जताया.बैठक में ये थे उपस्थितविश्वनाथ घोष, आशीष कुमार सिन्हा, काबू दत्ता, नारायण जयदेव, पार्थो राय, दिलीप मंडल, दिलीप घोष, असित चक्रवर्ती, सविता बख्शी, मनोज सरकार, मनोज सतपति, रामू राय, राजकुमार सिंह, देवाशीष चटर्जी, देवाशीष दत्ता, प्रवीर भद्र, शुभंकर घोष, शुभेंदु सेनगुप्ता, अतनु बॉस, रतन दे, देवांशु चटर्जी, विश्वमय दत्त आदि.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है